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शिबू सोरेन बोले- झारखंड में स्थानीय नीति बदलेंगे, सियासी बवाल होना तय

शिबू सोरेन ने स्थानीय नीति पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि झारखंड (Jharkhand) में स्थानीय नीति में बदलाव होगा.

Updated on: 16 Jan 2020, 12:24 PM

रांची:

झारखंड के दिशोम गुरु और सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के पिता शिबू सोरेन ने स्थानीय नीति पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि झारखंड (Jharkhand) में स्थानीय नीति में बदलाव होगा. इस राज्य के आदिवासी और मूलवासी के हक अधिकार के लिए 1932 का कट ऑफ डेट लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार का कट ऑफ डेट 1985 का सही नहीं था. अगर लागू ही करना था तो शुरू से ही करती. 1985 के डेट से झारखंड के लोग अपने हक से वंचित रह गए. शिबू सोरेन  (Shibu Soren) ने कहा कि अब नई सरकार द्वारा 1932 के डेट तय हो जाने के बाद यहां के जंगल झाड़ में रहने वाले खातियानी रैयत वाले मूलवासी आदिवासी को पलायन नहीं करना पड़ेगा. उनको लाभ मिलेगा.

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गौरतलब है कि बीजेपी की पिछली रघुवर सरकार ने झारखंड में कट ऑफ डेट 1985 का रखा था, लेकिन हेमंत की सरकार आने के बाद इस डेट को निरस्त कर 1932 के खातियानी रैयत को आधार मान कर लोगों को स्थानीय निवासी बताने का निर्णय लेने का मन बनाया हुआ है. हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन ने भी कहा कि पिछली रघुवर सरकार ने झारखंड में तानाशाही रवैया अपनाकर कट ऑफ डेट 1985 बनाया था, जो इस राज्य के मूलवासी और आदिवासी के लिए सही नहीं था. उन्होंने कहा कि खुद सीएम हेमंत सोरेन इस कानून का संशोधन कर राज्य के मूलवासी के हक में कट ऑफ डेट 1932 का तय किया जाएगा.

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शिबू सोरेन के इस बयान के बाद झारखंड में सियासी माहौल गरमाना संभव है. झारखंड में बाहर से आकर वर्षों से रह रहे लोगों के बीच इस नीति को लेकर आक्रोश का माहौल बन सकता है. ऐसे में झारखंड एक बार फिर स्थानीय नीति के आग में झुलस सकता है. 2002 में भी बाबूलाल मरांडी की सरकार में इस नीति के कारण काफी बवाल मचा था. इसका परिणाम यह रहा कि बाबूलाल मरांडी को सीएम पद से जाना भी पड़ा था. हालांकि 2014 में राज्य में भाजपा की बहुमत सरकार आने के बाद सीएम रघुवर दास ने 1985 का कट ऑफ डेट तय कर स्थानीय नीति बनाई थी. बहरहाल, झारखंड में स्थानीय नीति को लेकर एक बार फिर घमासान होने के संकेत दिख रहे हैं.