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झारखंड में स्कूली बच्चों को अभी तक नहीं मिली ड्रेस, ठंड से ठिठुरने को मजबूर छात्र

झारखंड में पड़ रही कड़ाके की ठंड में राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 13 लाख से अधिक बच्चों को अब तक ड्रेस नहीं मिल पाई है.

Updated on: 30 Nov 2022, 05:31 PM

highlights

.ठंड से ठिठुरने को मजबूर छोटे-छोटे बच्चे
.13 लाख से ज्यादा बच्चे को नहीं मिला ड्रेस
.बिना स्वेटर, जूते-मोजे के जा रहे स्कूल
.15 नवंबर तक बच्चों को ड्रेस देने का था लक्ष्य

Ranchi:

झारखंड में पड़ रही कड़ाके की ठंड में राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 13 लाख से अधिक बच्चों को अब तक ड्रेस नहीं मिल पाई है. बच्चे बिना स्वेटर और जूते मोजे के स्कूल जाने को मजबूर हैं. ड्रेस के लिए मिलने वाली राशि अब तक बच्चों के खाते में नहीं मिल पाई है. झारखंड शिक्षा परियोजना (Jharkhand Education Project) ने अगस्त में ही जिलों को इसके लिए राशि उपलब्ध करा दी थी. इतना ही नहीं विभाग ने बच्चों का बैंक खाता खुलवाकर 15 नवंबर तक बच्चों को ड्रेस की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को कहा था, लेकिन पैसे नहीं मिलने से बच्चे इस कड़ाके की ठंड में बिना स्वेटर जूते के ही स्कूल जाने को मजबूर हैं. राज्य में कुल 38 लाख 29 हजार लाख बच्चों को पोशाक दिया जाना है. इनमें से अब तक 24 लाख 49 हजार बच्चों को ही पोशाक की राशि मिली है. वहीं, 13 लाख 79 हजार बच्चे आज भी ठंड में बिना स्वेटर और जूते मौजे के ही स्कूल जा रहे हैं.

पहली से पांचवी तक के बच्चों को 2 सेट पोशाक, एक स्वेटर और जूते मोजे के लिए 600 रुपये दिए जाते हैं. छठी से आठवीं तक के बच्चों को पोशाक के लिए 400 रुपये स्वेटर के लिए 200 रुपए और जूते मोजे के लिए 160 रुपये दिए जाते हैं. सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के सभी वर्ग के छात्राओं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों की पोशाक के लिए 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है. यह राशि समग्र शिक्षा अभियान के तहत दी जाती है जबकि अन्य सभी बच्चों को पोशाक की राशि राज्य सरकार की ओर से दी जाती है, लेकिन फिर भी आज भी राज्य के लाखों बच्चे इन सुविधाओं से वंचित है.

वहीं, इस मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी मानते हैं कि कई बच्चे इस कड़ाके की ठंड में पोशाक के बिना वंचित हैं. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने न्यूज़ स्टेट से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कहा कि बच्चों को राशि नहीं उपलब्ध हो पाने का प्रमुख कारण बैंक खाता नहीं होना और जिनके पास  बैंक खाते है वे बैंक के रवैए से पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं. जिलों में लाखों विद्यार्थियों का अब तक बैंक खाता नहीं खुला है. इस कारण विद्यार्थियों को राशि नहीं मिल पाई है, लेकिन बहुत जल्द सभी बच्चों को राशियां उनके खाते में उपलब्ध करा दी जाएगी. जिससे वह पोशाक खरीद कर स्कूल जा सकेंगे.

पोशाक के लिए राशि उपलब्ध कराने में साहिबगंज जिला की स्थिति सबसे खराब है. साहिबगंज में 22 नवंबर तक केवल 37 फीसदी बच्चों को ही राशि मिली थी, लोहरदगा में 39, जबकि हजारीबाग में 40 फीसदी बच्चों को राशि मिली थी. वहीं, इस इस कड़ाके की ठंड में सियासी पारा भी गर्म हो गई है. राशि ना मिलने पर विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. विपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार अपने शान शौकत के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च कर राज्य सरकार मंत्रियों के लिए आशियाने बनवा रहे हैं, लेकिन गरीब मासूम बच्चों के लिए उन्हें पोशाक की चिंता नहीं है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आदिवासियों के हितैषी कहे जाने वाली सरकार के रवैए से राज्य के ननिहाल इस कड़ाके की ठंड में बिना स्वेटर और जूते मोजे के ही वह स्कूल जाने में विवश है.

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