'जिहादलैंड' बन रहा झारखंड का संताल! घुसपैठ पर सियासत या सुरक्षा में चूक?
झारखंड के सियासी गलियारों में एक बार फिर बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोरों शोरो से गूंज रहा है क्योंकि इस बार प्रदेश के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इस पर चिंता जताई है.
highlights
- राज्यपाल के बयान पर सियासी घमासान
- घुसपैठ पर सियासत या सुरक्षा में चूक?
- बांग्लादेशी घुसपैठ पर सवाल
Ranchi:
झारखंड के सियासी गलियारों में एक बार फिर बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोरों शोरो से गूंज रहा है क्योंकि इस बार प्रदेश के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इस पर चिंता जताई है. राज्यपाल ने बांग्लादेशियों की घुसपैठ को खतरनाक बताते हुए ये भी कहा कि विदेशियों की घुसपैठ से आदिवासी समुदाय की जीवनशैली बदल जाएगी. आदिवासी परंपरा और राज्य की डेमोग्राफी नहीं बदलनी चाहिए. राज्यपाल के बयान के बाद झारखंड में सियासी तूफान आ गया. वार-पलटवार होने लगे. विधायक इरफान अंसारी ने जहां राज्यपाल पर बीजेपी की स्क्रिप्ट पर बयानबाजी का आरोप लगाया तो महुआ माजी ने घुसपैठ को लेकर केंद्र पर निशाना साध दिया. एक तरफ सत्ता पक्ष है, तो दूसरी ओर बीजेपी. जो राज्यपाल के बयान के समर्थन में उतर गई है.
यह भी पढ़ें- झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ पर राज्यपाल ने जताई चिंता, बताया-बहुत खतरनाक
घुसपैठ पर सियासत या सुरक्षा में चूक?
मामले पर भले ही बयानबाजी और घुसपैठ के मुद्दे से पल्ला झाड़ने की कोशिश हो रही है, लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या बांग्लादेशी घुसपैठ सिर्फ सियासी मुद्दा है. आइए आंकड़ों से जानते हैं इसका जवाब. दरअसल, साल 2001 की जनगणना में साहिबगंज की कुल आबादी 9 लाख 27 हजार थी, जिसमें मुसलमानों की आबादी 2 लाख 70 हजार थी. 2011 की जनगणना यानी 10 साल बाद साहिबगंज की कुल आबादी 11 लाख 50 हजार थी और इस बार मुस्लिम आबादी 3 लाख 8 हजार हो गई, जो एक तिहाई से थोड़ा ही कम है.
पाकुड़ की हालत साहिबगंज से भी बदतर है, 2011 में जिले की कुल आबादी 9 लाख थी, जिसमें मुस्लिम आबादी 3 लाख, 23 हजार थी. वहीं, 2001 में पाकुड़ में मुस्लिम आबादी 2 लाख 32 हजार थी. आंकड़ों से स्पषट है कि घुसपैठ झारखंड के लिए नासूर बनता जा रहा है.
बांग्लादेशी घुसपैठ पर सवाल
इस मामले को लेकर राज्य में भले ही सियासत हो, लेकिन ये मुद्दा बेहद गंभीर है. यह मुद्दा ना सिर्फ झारखंड के लिए बल्कि पूरे देश के लिए सोचने वाला विषय बन चुका है, क्योंकि कहीं ना कहीं ये देश की सुरक्षा में सेंधमारी है. झारखंड के चार जिलों में लगातार बांग्लादेश के लोग घुसपैठ कर रहे हैं. इन जिलों में जनसंख्या संतुलन भी काफी बिगड़ चुका है. कुछ महीने पहले ही झारखंड हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में ये दावा किया गया था कि बॉर्डर इलाकों के जिलों में बड़ी संख्या में मदरसे बनाए जा रहे हैं और इससे सरकार को संकेत दिया गया कि मुद्दे को इतने हल्के में ना लिया जाए.
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