राज्यसभा चुनाव: झारखंड में होगी कांटे की टक्कर, बीजेपी को चाहिए आजसू का सहारा
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में इस वक्त कुल 80 विधायक हैं. ऐसे में एक सीट जीतने के लिए कम से कम 27 विधायकों का समर्थन चाहिए.
रांची:
झारखंड (Jharkhand) में राज्यसभा की दो सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है. सत्ताधारी महागठबंधन की एक सीट पर जीत तय है तो दूसरी सीट पर सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद है. महागबंधन ने पहली सीट के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन को प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं, महागबंधन ने दूसरी सीट के लिए अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. कांग्रेस दूसरी सीट पर सहयोगी दलों के सहारे किसी प्रत्याशी को उतारने की तैयारी में है.
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भाजपा ने भी इस दूसरी सीट के लिए अपने उम्मीदवार का नाम अभी घोषित नहीं किया है. संख्या बल को देखें तो सत्तापक्ष के उम्मीदवार शिबू सोरेन का पहली सीट पर जीतना तो तय है, मगर दूसरी सीट पर कांटे की टक्कर होने के संकेत हैं. वजह यह है कि सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के पास दूसरी सीट के लिए जरूरी विधायकों की संख्या नहीं है. इसके लिए दोनों पक्षों से जोड़तोड़ की कोशिशें जारी हैं.
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में इस वक्त कुल 80 विधायक हैं. ऐसे में एक सीट जीतने के लिए कम से कम 27 विधायकों का समर्थन चाहिए. झामुमो, कांग्रेस और राजद को मिलाकर बने महागठबंधन के पास 48 विधायक हैं. वहीं भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी सहित कुल 26 विधायक हैं. जबकि भाजपा के पूर्व सहयोगी आजसू के पास दो, एनसीपी के पास एक, निर्दलीय दो और भाकपा माले के पास एक विधायक है.
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विधानसभा में विधायकों की संख्या अगर 81 होती तो फिर एक राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 28 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ती. इस तरह देखें तो झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन आसानी से जीत सकते हैं, मगर भाजपा को राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए आजसू के समर्थन की जरूरत होगी. दूसरी सीट के लिए जरूरी संख्या जुटाने के लिए दोनों पक्षों से जोड़तोड़ जारी है.
भाजपा सूत्रों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी को आजसू को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उधर, आजसू भाजपा की ओर से राज्यसभा के लिए प्रस्तावित चेहरे को देखकर ही फैसला करना चाहती है.
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दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू का भाजपा के साथ गठबंधन टूटने का जिम्मेदार रघुवर दास को बताया जा रहा था. चूंकि रघुवर दास का नाम भाजपा के अंदरखाने राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर चल रहा है, इसलिए आजसू असमंजस की स्थिति में है. आजसू संसदीय दल की बैठक में इस मुद्दे पर फैसला होने की बात कह रही है. वैसे भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि आजसू समर्थन के लिए मान जाएगी.
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