Jharkhand News: साहिबगंज में बारिश बनी किसानों के लिए आफत, सरकार से मदद की आस लगाए हैं बैठे
साहिबगंज जिले में इन-दिनों लगातार हो रही बारिश के तबाही की मंजर ने किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है.
highlights
- बारिश किसानों के लिए बनी आफत
- बड़ी ही मुश्किल से कर पाते हैं खेती
- सरकार सिर्फ बीज कराती है उपलब्ध
- कैसे की जाती है यहां खेती
Sahibganj:
साहिबगंज जिले में इन-दिनों लगातार हो रही बारिश के तबाही की मंजर ने किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है. वहीं, साहिबगंज जिले में कड़ी मेहनत कर पहाड़ो पर खेती करने वाले किसानों को बाढ़ बारिश के तबाही का साथ जमकर मिल रहा है, लेकिन जिला प्रशासन एवं सरकार का साथ नहीं मिल रहा है. दूसरी तरफ साहिबगंज जिले में आसमानी आफत बनकर बरस रही बारिश ने बाढ़ प्रभावित इलाके में लगी धान की फसलों को तहस-नहस कर दिया है तो वहीं पहाड़ो पर लगे बरबट्टी व बाजरा की फसल को बर्बाद कर दिया है. साहिबगंज के गरीब किसान फसल बर्बाद होने के बाद अब सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.
बारिश किसानों के लिए बनी आफत
साहिबगंज जिले में बीते एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश अब किसानों के लिए वरदान नहीं बल्कि आफ़तकाल साबित हो रही है. वहीं, जिले में लगातार हो रही बारिश से उत्तर वाहिनी गंगा नदी व गुमानी नदी के आसपास बाढ़ प्रभावित इलाकों में लगाए गए सैकड़ो एकड़ धान की फसल डूबकर बर्बाद हो गई है, तो वहीं पहाड़ो के राजा कहे जाने वाले राजमहल की पहाड़ियों पर बरबट्टी एवं बाजरा की खेती को भी बारिश की तबाही ने तहस-नहस कर दिया है. वहीं, गरीब किसानों के सैकड़ों एकड़ जमीन पर लगाए गए उपजाव फसल बर्बाद होने से किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें मंडराने लगी है. इतना ही नहीं बल्कि किसान खेतों पर जाकर माथे पर हाथ रखकर बस इश्वर से यही दुआ कर रहे है कि ये तबाही रुक जाए.
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बड़ी ही मुश्किल से कर पाते हैं खेती
वहीं, साहिबगंज जिले के राजमहल की पहाड़ियों पर खेती करने वाले मेहनती किसानों का कहना है कि वह कृषि लोन एवं प्रदेश सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए बीज को लेकर बड़ी ही मुश्किल से खेती की थी,और किसानों को उम्मीद भी थी कि इस बार हर साल से अच्छी फसल उगेगी, लेकिन बारिश की तबाही के मंजर ने किसानों की सीने पर ऐसा खंजर मारा की उनके माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है.
सरकार सिर्फ बीज कराती है उपलब्ध
किसानों का यह भी कहना है कि प्रदेश सरकार के तरफ से सिर्फ उन्हें बुआई करने के लिए बीच उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन जब फसलों पर कीड़ा लग जाते हैं तो उसमें छिड़काव करने के लिए कीटनाशक पावडर एवं छिड़काव मशीन नहीं उपलब्ध कराया जाता है. जिससे किसानों की उम्मीद और भी टूट जाती है. वहीं राजमहल की पहाड़ियों पर खेती करने वाले किसानों का कहना है कि यदि सरकार के तरफ से उन्हें खेती करने की हर सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाए तो वह और बेहतर तरीके से खेती कर सकते हैं.
कैसे की जाती है यहां खेती
दरअसल, साल के जुलाई महीने में पहाड़ी समुदाय के लोग कड़ी मेहनत करके सबसे पहले जंगलझाड़ को दबिया से काटकर साफ करते हैं. इसके बाद सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई. बीज को सूखे लकड़ी के टुकड़े से गड्ढा-खोदकर उसमें बुआई करते हैं. इसके बाद करीब पांच माह तक पहाड़ियों पर रात-रातभर जागकर उस की देखरेख करते है कि कहीं जंगली सुअर एवं बंदर उनके फसलों को बर्बाद ना कर दें. इसके बाद फसल तैयार होने के बाद किसान दिसंबर माह में फसलों को काटना शुरू कर देते हैं, लेकिन फसल काटने के बाद भी किसानों को बाजरा एवं बरबट्टी ओने-पौने दाम देकर बिचोलियों के पास बेचना पड़ता है, क्योंकि साहिबगंज जिले में किसानों के लिए सरकारी लेम्स की कोई व्यवस्था नहीं है.
रिपोर्ट - गोविन्द ठाकुर
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