बोकारो के सबसे पॉश इलाका कहे जाने वाले चास का अनुमंडल अस्पताल इन दिनों किस तरीके से बदहाल है, यह आप तस्वीरों में देख सकते हैं. यह झारखंड सरकार का अनुमंडल अस्पताल है जहां रात के अंधेरे में मरीज को मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ता है. बोकारो की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरीके से भगवान भरोसे हैं, यह इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं. चास उपनगर जहां की आबादी लाखों में है, उसका एकमात्र सरकारी अस्पताल बदहाली का शिकार है. मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह चास अनुमंडल अस्पताल रात के समय बिजली कटने से अंधेरों में तब्दील हो जाता है. अधिकतर मरीज यहां गांव देहात से इलाज कराने के लिए आते हैं और ज्यादा तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल में भर्ती भी हो जाते हैं.
इस समय शहर में हाय फीवर चल रहा है और कई मरीज इस अनुमंडल अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन जैसे ही बिजली गुल हो जाती है पूरा अस्पताल परिसर अंधेरों में तब्दील हो जाता है. कोई मरीज मोमबत्ती का सहारा लेता है तो कोई मोबाइल के टॉर्च का सहारा लेता है. ऐसा नहीं है कि इस अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था नहीं है, लेकिन बताया जाता है कि डीजल नहीं के बराबर रहता है. एकमात्र सहारा इनवर्टर का रहता है, जो कुछ देर चलने के बाद बंद हो जाता है. अस्पताल की स्थिति इतनी दयनीय है कि महिला शौचालय में दरवाजा तक नहीं है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस कदर अस्पताल की व्यवस्था है, जबकि यहां महिला मरीज ज्यादा संख्या में भर्ती है.
मरीज के परिजनों की मानें तो रात के समय बिजली गुल होने से पूरा अस्पताल अंधेरा हो जाता है. साथ ही महिला शौचालय में भी दरवाजा नहीं रहने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
Source : News Nation Bureau