Politics: '24' की तैयारी... सरना धर्म कोड की बारी, CM हेमंत ने PM मोदी को लिखा पत्र
2024 का चुनावी शंखनाद हो चुका है. पार्टियां वोट बैंक साधने के लिए किसी मुद्दे को छोड़ नहीं रही.
highlights
- सियासी गलियारों में सरना धर्म की गूंज
- क्यों उठ रही है सरना धर्म कोड की मांग?
- चुनावी लहजे से सरना धर्म कोड क्यों जरूरी?
Ranchi:
2024 का चुनावी शंखनाद हो चुका है. पार्टियां वोट बैंक साधने के लिए किसी मुद्दे को छोड़ नहीं रही. बात झारखंड की करें तो यहां की सियासी फिजा में एक बार फिर सरना धर्म कोड की गूंज सुनाई दे रही है. चुनावी गहमा गहमी के बीच सरना धर्म कोड का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है. इसकी शुरूआत हुई सीएम हेमंत सोरेन के उस पत्र के साथ जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखी. सीएम ने अपने पत्र में लिखा झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई सालों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए प्रकृति पूजक आदिवासी-सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है.आदिवासी समुदाय में भी कई ऐसे समूह है, जो विलुप्ति होने के कगार पर हैं. सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर इन्हें संरक्षण नहीं दिया गया, तो इनकी भाषा, संस्कृति के साथ-साथ इनका अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा.
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सियासी गलियारों में सरना धर्म की गूंज
वहीं, आदिवासियों की संख्या में भी लगातार कमी आ रही है. एक आदिवासी मुख्यमंत्री होने के नाते मैं ना सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश के आदिवासियों के हित में सरना धर्म कोड पर निर्णय लेने की मांग करता हूं. सरना धर्म कोड की मांग आज से नहीं उठ रही. झारखंड के साथ ही वो सभी राज्य जहां आदिवासी समुदाय रहता है. वहां इस धर्म कोड की मांग की जाती है. बात करें सरना धर्म कोड की तो कुछ राज्यों के आदिवासी खुद को सरना धर्म का अनुयायी मानते हैं.
देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 27, 2023
मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित… pic.twitter.com/svvzDaTq7C
चुनावी लहजे से सरना धर्म कोड क्यों जरूरी?
इन राज्यों में झारखंड, बंगाल, ओडिशा और बिहार शामिल हैं. ये आदिवासी समुदाय प्राकृति की पूजा-अर्चना करते हैं. जल, जंगल और जमीन ही उनकी आस्था का केंद्र होता है. ऐसे में आदिवासी समुदाय की मांग है कि केंद्र उनके धर्म को अलग से मान्यता दे. चुनावी समय में सियासतदान भी इस मुद्दे को हवा देते हैं. इसकी वजह आदिवासी के हितों की रक्षा करने से ज्यादा वोट बैंक साधने की है. दरअसल, लोकसभा की 543 सीटों में से 62 सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है.
सीएम हेमंत ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
यही वजह है कि कोई भी दल सरना धर्म कोड के विरोध में नहीं बोलता और पक्ष हो या विपक्ष एक सुर में सरना धर्म कोड लागू करने की मांग करता है. बहरहाल, चुनाव से पहले एक बार फिर झारखंड में सरना धर्म कोड की मांग उठने लगी है. सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. और बीजेपी भी इसके पक्ष में है. लेकिन देखना ये होगा कि सरना धर्म कोड के नाम पर सिर्फ सियासत ही होती रहेगी. या इसको लेकर कोई निर्णायक फैसला भी आएगा.
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