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बिहार के 'राजनीतिक सूरमा' झारखंड में तलाश रहे जमीन

बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) हो या बिहार की सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) या फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) हो, सभी बिहार के अपने जातीय समीकरण का जोड़-घटाव कर झारखंड चुनाव में अपने गढ़ को दुरुस्त करने में जुटे हैं.

Updated on: 22 Sep 2019, 10:34 AM

New Delhi:

बिहार में अपने बड़े वोट बैंक पर गुमान करने वाले राजनीतिक 'सूरमा' झारखंड में होनेवाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं. बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) हो या बिहार की सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) या फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) हो, सभी बिहार के अपने जातीय समीकरण का जोड़-घटाव कर झारखंड चुनाव में अपने गढ़ को दुरुस्त करने में जुटे हैं.

वैसे, ये सभी दल झारखंड में भी अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग' के सहारे उन जातीय वर्ग में पैठ बनाने की कोशिश में हैं, जिससे अब तक बिहार में सफलता पाते रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर अपने पुराने वोटरों को गोलबंद करना शुरू कर दिया है. जद (यू) की नजर राज्य में दर्जनभर से ज्यादा सीटों पर है.

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जद (यू) का अधिक ध्यान पलामू, दक्षिणी छोटानागपुर और उत्तरी छोटानागपुर की उन सीटों पर है, जहां जद (यू) का परंपरागत आधार रहा है. जद (यू) अपने वरिष्ठ नेता आऱ सी़ पी़ सिंह के नेतृत्व में राज्यभर के चुनिंदा विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन सह जनभावना यात्रा निकालकर अपने वोटबैंक को एकजुट करने में जुटी है.

जद (यू) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रवीण सिंह कहते हैं, "जद (यू) पूरे दमखम के साथ इस चुनाव में उतरेगी और अपनी सोच समावेशी समाज, समावेशी विकास को लेकर जनता के बीच जा रही है." उन्होंने कहा कि जनता विकास चाहती है और बिहार में 14 वर्षो का शासनकाल इसका जीता जागता उदाहरण है.

इधर, 20 सितंबर को झारखंड के हुसैनाबाद से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान की नजर पलामू और संताल परगना की छह सीटों पर है. लोजपा के एक नेता का कहना है कि उनकी पार्टी राजग में है और अपनी सीटों पर दावेदारी करेगी. लोजपा झारखंड में चिराग पासवान के सहारे युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए जमीन तलाश रही है.

इधर, बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद भी झारखंड में अपनी खोई जमीन तलाश रही है. राजद विपक्षी दलों के महागठबंधन के साथ चुनाव मैदान में जाने की इच्छा जताकर 12 सीटों पर अपना दावा ठोंक चुका है. उल्लेखनीय है कि पलामू प्रमंडल और संथाल की कुछ सीटों पर राजद की पुरानी पैठ रही है. इन क्षेत्रों में राजद के उम्मीदवार जीतते भी रहे हैं.

राजद के अध्यक्ष अभय सिंह कहते हैं कि राजद के नेता तेजस्वी यादव 23 सितंबर को झारखंड पहुंचेंगे और 'संकल्प यात्रा' पर निकलेंगे. इस यात्रा से राजद कार्यकर्ताओं को एकजुट कर राजद चुनावी मैदान में उतरेगा.

जमीन तलाशने के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यहां राजद की जमीन पहले से ही तैयार है. लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, राजद के कई उम्मीदवार यहां से जीत चुके हैं. बहरहाल, झारखंड चुनाव में बिहार के इन दलों के आने के बाद इस साल के अंत में होने वाला विधानसभा चुनाव दिलचस्प रहने के आसार बढ़ गए हैं.