सरायकेला में पानी की बूंद-बूंद के लिए हाहाकार, प्रशासन की लापरवाही से जनता बेहाल

सरायकेला की जनता पानी की किल्लत से बदहाल है. हर साल की तरह इस बार भी गर्मी की दस्तक होते ही पानी के लिए हाहाकार मच गया है और हर बार की तरह इस बार भी शासन-प्रशासन ने समस्या से निपटने की कोई तैयारी नहीं की है.

सरायकेला की जनता पानी की किल्लत से बदहाल है. हर साल की तरह इस बार भी गर्मी की दस्तक होते ही पानी के लिए हाहाकार मच गया है और हर बार की तरह इस बार भी शासन-प्रशासन ने समस्या से निपटने की कोई तैयारी नहीं की है.

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Jatin Madan
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पानी की किल्लत से जूझते ग्रामीण.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

सरायकेला की जनता पानी की किल्लत से बदहाल है. हर साल की तरह इस बार भी गर्मी की दस्तक होते ही पानी के लिए हाहाकार मच गया है और हर बार की तरह इस बार भी शासन-प्रशासन ने समस्या से निपटने की कोई तैयारी नहीं की है. गर्मी जैसे-जैसे रौद्र रूप धारण कर रही है, वैसे-वैसे पानी की किल्लत लोगों के जी का जंजाल बनती जा रही है. सरायकेला के आदित्यपुर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. बूंद-बूंद पानी के लिए लोग बेहाल हो रहे हैं.

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पानी की किल्लत से जूझते ग्रामीण

सरायकेला पहाड़ी इलाका है. ऐसे में पानी की समस्या से हर साल जिलावासी परेशान होते हैं. गर्मी की दस्तक के साथ ही भूजल का स्तर नीचे चला जाता है और पानी के लिए जद्दोजहद शुरू हो जाती है. ये समस्या ऐसी है जो हर साल दस्तक देती है, लेकिन शासन और प्रशासन इससे निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं करता. जिले के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र आदित्यपूर के कई इलाकों में सरकारी जलबोर्ड की तरफ से लगाए गए टैंकर भी भिजवाये जाते हैं. बावजूद पानी की किल्लत बरकरार रहती है. भीषण गर्मी के बीच पानी की परेशानी लोगों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है.

बूंद-बूंद पानी के लिए हाहाकार

एक तरफ पानी की किल्लत है तो दूसरी ओर प्रशासन की लापरवाही. दरअसल कई मोहल्लों में सरकारी हैंडपंप 5-6 साल से खराब हैं. ऐसे में ग्रामीणों को दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. ग्रामीणों ने मिलकर कई बार ग्राम प्रधान से लेकर अपने वार्ड पार्षद और यहां तक की एसडीएम तक को ज्ञापन दे कर पेयजल समस्या का समाधान करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन समस्या का हल तो दूर जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने तो क्षेत्र का जायजा लेने की जहमत भी नहीं उठाई.

प्रशासन की लापरवाही से जनता बेहाल

पानी की समस्या से महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं. घर का काम काज छोड़कर पानी भरने के लिए दिन भर भागदौड़ करनी पड़ती है तब जाकर पीने के पानी का इंतजाम हो पाता है. कई बार तो पानी के लिए महिलाओं को 1 किलोमीटर तक जाना पड़ता है, लेकिन उनकी समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है. पानी जैसी मूलभूत समस्या के लिए आम जनता का यूं परेशान होना प्रदेश सरकार के दावों की पोल खोलता है. साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को भी कटघरे में खड़ा करती है.

रिपोर्ट : विरेन्द्र मंडल

HIGHLIGHTS

  • पानी की किल्लत से जूझते ग्रामीण
  • बूंद-बूंद पानी के लिए हाहाकार
  • प्रशासन की लापरवाही से जनता बेहाल

Source : News State Bihar Jharkhand

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