एक तरफ छठ का उत्साह, दूसरी तरफ प्रदेश में बढ़ी सियासी सरगर्मियां
एक तरफ लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर हर तरफ हर्ष और उत्साह व्याप्त है. लोग बढ़- चढ़कर चार दिवसीय इस महापर्व को संपन्न कराने में जोर-शोर से जुटे हैं.
Jamshedpur:
एक तरफ लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर हर तरफ हर्ष और उत्साह व्याप्त है. लोग बढ़- चढ़कर चार दिवसीय इस महापर्व को संपन्न कराने में जोर-शोर से जुटे हैं. हर तरफ भक्ति का बयार बह रहा है. लौहनगरी जमशेदपुर में भी छठ व्रती और श्रद्धालु अपने-अपने हिसाब से तैयारियों में जुटे हैं. कोई छठ घाटों की साफ-सफाई में जुटा है, कोई व्रतियों को नि:शुल्क पूजन सामग्रियों का वितरण कर रहा है. मगर जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा शुक्रवार शाम से ही रणभूमि में तब्दील है. जहां विधायक सरयू राय खेमा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास खेमा आमने-सामने है. रघुवर दास खेमा सूर्य मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने पर अड़ा है, तो सरयू राय खेमा इसके विरोध में है. सरयू राय खेमा का तर्क है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए फूहड़ता परोसा जाता है.
वहीं रघुवर दास खेमा के समर्थन में आजसू नेता चंद्रगुप्त सिंह खुलकर सामने आ गए हैं. चंद्रगुप्त सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में सरयू राय का साथ दिया था. इतना ही नहीं सूर्य मंदिर से रघुवर दास की बादशाहत समाप्त करने में चंद्रगुप्त सिंह ने सरयू राय का साथ दिया था मगर इस बार परिस्थितियां बदल चुकी है. चंद्रगुप्त सिंह ने सरयू राय को खुली चुनौती दे डाली है. इधर बीती रात रघुवर दास खेमे ने सरयू राय खेमे पर हमला कर दिया. दोनों ओर से 10 लोग घायल हुए हैं.
सरयू राय की पार्टी भारतीय जनतंत्र मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव भी इस हमले में घायल हुए हैं. सरयू राय ने ट्वीट कर इस हमले की निंदा की है. वहीं प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़ बनी बैठी है. बीती रात से ही प्रशासन के आला अधिकारी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं. इन सबके बीच शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा सूर्य मंदिर धाम में हर हाल में सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा. उन्होंने प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए कहा है, कि सांस्कृतिक कार्यक्रम यदि रोका गया तो बाधा पहुंचाने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. चंद्रगुप्त सिंह से मिले समर्थन के बाद रघुवर खेमा आक्रामक मुद्रा में है. कुल मिलाकर जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा का सूर्य मंदिर धाम इन दिनों राजनीतिक अखाड़ा में तब्दील है. ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा, कि प्रशासन लोक आस्था के इस महापर्व को संपन्न कराने में कितना सफल हो पाती है.
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