News State Explainer: अमित शाह के झारखंड दौरे के सियासी मायने
अमित शाह ने पश्चिमी सिंहभूम यानि चाईबासा को ही लोकसभा चुनाव 2024 के शंखनाद के लिए क्यों चुना? क्यों अमित शाह दूसरे स्थान से चुनावी शंखनाद करना नहीं चाह रहे? ऐसे और भी कई सवाल है जिनके जवाब आपको जानना चाहिए.
highlights
- मिशन 2024 पर अमित शाह
- झारखंड में चाईबासा से करेंगे चुनावी शंखनाद
Ranchi:
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज यानि 6 जनवरी 2023 से दो दिवसीय झारखंड दौरे पर आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की नजर बिहार और झारखंड पर मुख्य रूप से है और यही कारण है कि अमित शाह ने बहुत पहले से ही मिशन 2024 की तैयारियां शुरू कर दी है. वहीं, अमित शाह के झारखंड दौरे को लेकर झारखंड बीजेपी को बहुत उम्मीदें हैं. अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह किसी राज्य में दौरे पर जाएं और खासकर उन क्षेत्रों का दौरा करें जहां पर बीजेपी को हार मिली हो तो सियासत शुरू होना लाजमी है और होनी भी चाहिए. अमित शाह 7 जनवरी को चाईबासा से लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद करेंगे. अमित शाह ने पश्चिमी सिंहभूम यानि चाईबासा को ही लोकसभा चुनाव 2024 के शंखनाद के लिए क्यों चुना? क्यों अमित शाह दूसरे स्थान से चुनावी शंखनाद करना नहीं चाह रहे? ऐसे और भी कई सवाल है जिनके जवाब आपको जानना चाहिए.
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चाईबासा ही क्यों?
2019 में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की राजनीति का लोहा एक बार फिर से पूरे देश ने माना. झारखंड में भी बीजीपी को 11 और उसकी सहयोगी पार्टी आजसू को 1 सीट यानि इस तरह से कुल 13 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन 2 सीटों पर बीजेपी को हार मिली थी. इन दो सीटों में से एक पर जेएमएम ने जीत हासिल की थी और एक पर कांग्रेस ने. ये दोनों सीट चाईबासा की सिंहभूम और राजमहल लोकसभा सीट हैं. जहां सिंहभूम से कांग्रेस की उम्मीदवार गीता कोड़ा को जीत मिली थी तो वहीं राजमहल सीट पर जेएमएम के प्रत्याशी विजय हांसदा ने जीत हासिल की थी. अब इसी चाईबासा से अमित शाह लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद करेंगे यानि जहां पर बीजेपी की हार हुई थी वहां से अमित शाह झारखंड में मिशन 2024 के लिए शुरुआत करेंगे.
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क्या है बीजेपी की स्ट्रेटजी ?
2014 के बाद से बीजेपी में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला. बदलाव ये देखने को मिला कि जो भी प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में हारा उसने हार के बाद भी आम जनता से मिलना नहीं छोड़ा. 2019 में भी जो बीजेपी प्रत्याशी हारे वो भी आम जनता से दूर नहीं हुए बल्कि लगातार आम लोगों के बीच बने रहे और उन्हें इसका फायदा भी मिला. इसका सबसे अच्छा उदाहरण अगर कोई है तो स्मृति ईरानी और दिनेश लाल यादव 'निरहुआ'.
जहां 2014 में अमेठी सीट से हारने के बावजूद स्मृति ईरानी लगातार अमेठी का दौरा करती रहीं और आम लोगों से मिलत रहीं वहीं, 2019 में आजमगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' लगातार जनता के बीच मौजूद रहते थे. चाहे की मौत हो या किसी के घर में शादी हो दोनों हाजिर रहते थे. खासकर दुख के समय आम जनता के बीच दोनों की नेता रहते थे और इसका नतीजा ये हुआ कि 2019 में कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जानेवाली अमेठी से कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी को स्मृति ईरानी ने हराया और आजमगढ़ उपचुनाव जो कि सपा की सीट मानी जाती है से दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने जीत हासिल की.
चित भी अपनी और पट भी अपनी!
अब यही संदेश देने के लिए अमित शाह चाईबासा दौरे पर आ रहे हैं. चाईबासा में दो सीटों पर 2019 में बीजेपी को हार मिली थी. यानि चाईबासा की जनता ने बीजेपी पर भरोसा नहीं जताया और अब लोगों का भरोसा जीतने के लिए अमित शाह ने चाईबासा को ही चुना है. लोकसभा चुनाव 2024 अभी दूर है. बावजूद इसके समय से पहले अमित शाह यहां पहुंचकर अपनी उपस्थिति आम जनता के बीच दर्ज करा रहे हैं और उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास करेंगे ताकि आम जनता की समस्याओं को सार्वजनिक रूप से उठाकर सूबे की हेमंत सरकार पर सवाल खड़े कर सकें.
आम आदमी को उसकी समस्या का समाधान चाहिए, चाहे वो सरकार करे या विपक्ष. ऐसे में अमित शाह और बीजेपी के पास खासकर चाईबासा के लोगों की समस्याओं को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला बोलने का एक बढ़िया मौका होगा. वहीं, सूबे की हेमंत सरकार ये चाहेगी कि चाईबासा की आमजन की जो समस्याएं हैं उन्हें बिना अमित शाह द्वारा उठाए दूर की जाए और अमित शाह अगर मुद्दे को उठाते भी हैं तो हेमंत सरकार मुद्दों का समाधान करके अपनी वाहवाही करते हुए अमित शाह को जवाब दे.
ऐसे में अमित शाह आम जन के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोलेंगे. अगर सरकार उन मुद्दों का समाधान करती है तो भी अमित शाह की ही जीत मानी जाएगी क्योंकि उनके द्वारा मुद्दों को उठाने के बाद सरकार द्वारा समाधान किया गया है. अगर सरकार समाधान नहीं करती है तो अमित शाह उन्हीं मुद्दों को लोकसभा चुनाव 2024 तक भुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे और मौजूदा जेएमएम और कांग्रेस सांसद पर भ्रष्टाचार के आरोप, आम जनता की समस्याओं से दूरी बनाए रखने समेत तमाम आरोप सार्वजनिक मंच से लगाते रहेंगे.
टीम को करेंगे मजबूत
चाईबासा में बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ अमित शाह बैठक भी करेंगे. बैठक में वो कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव 2024 और झारखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 'जीत का मंत्र' देंगे. अमित शाह बीजेपी कार्यकर्ताओं व नेताओं के साथ होनेवाली मीटिंग में निश्चित तौर पर 2019 में आए चुनावी परिणाम की गणना सीट लेकर बैठेंगे और इस बात पर सभी का ध्यान आकर्षित कराएंगे कि राजहंस और सिंहभूम के किन-किन बूथों पर बीजेपी को कम वोट मिले थे? जिन-जिन बूथों पर बीजेपी को कम वोट मिलें थें उन बूथों के क्षेत्रों में बीजेपी सक्रियता बढ़ाएगी और यही अमित शाह की सबसे बड़ी स्ट्रेटजी मौजूदा झारखंड दौरे को लेकर मानी जा रही है.
'बूथ जीतो-चुनाव जीतो' रणनीति पर चलेगी बीजेपी
वैसे तो पूरे देश में बीजेपी बूथ जीतो-चुनाव जीतो रणनीति पर चल रही है लेकिन चाईबासा के दो सीट जिनपर बीजेपी को 2019 में जीत नहीं मिली थी को लेकर बीजेपी खास तौर पर 'बूथ जीतो-चुनाव जीतो' रणनीति के तहत काम करेगी. खुद अमित शाह रणनीति को लेकर एक्शन मोड में आ चुके हैं और बीजेपी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक बार फिर से अमित शाह जीत के लिए 'बूथ जीतो-चुनाव जीतो' रणनीति पर काम करने का निर्देश देंगे.
बहरहाल, अमित शाह का झारखंड दौरा कितना कामयाब होता है, उनकी रणनीतियां कितनी सही साबित होती हैं? ये तो आनेवाला समय ही बताएगा लेकिन जिस तरह से अमित शाह अभी से ही चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं और झारखंड समेत दूसरे गैर बीजेपी शासित राज्यों का दौरा कर रहे हैं उससे कम से कम एक बात तो सामने आ रही है कि सिर्फ चुनाव के समय बीजेपी के शीर्ष नेता आम जनता के बीच नहीं जा रहे बल्कि चुनाव से काफी पहले आम जनता से मिल-जुल हो रहे हैं.
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