झारखंड के दुमका में समाहरणालय सभागार में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बाल अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित प्रकरणों के निराकरण हेतु शिविर का आयोजन किया गया है. इस शिविर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो सहित जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी तथा सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे. इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि निति आयोग ने विकास के पैरामीटर पर किसी न किसी तरह पीछे रहने वाले 115 जिला को आकांक्षी जिला के रूप में घोषित किया है.
दुमका जिला भी आकांक्षी जिला में शामिल है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग इन सभी आकांक्षी जिलों में बच्चों के अधिकार से हनन के मामलों के निवारण हेतु शिविर का आयोजन कर रहा है. इन जिलों के समग्र विकास हेतु नीति आयोग द्वारा पैरामीटर निर्धारित किया गया है. जिनमें 30% शिक्षा, 30% हेल्थ एवं न्यूट्रीशन, 10% आधारभूत संरचना का है तथा 30 प्रतिशत में अन्य को रखा गया है. उन्होंने कहा कि लेकिन इस पैरामीटर में 70 प्रतिशत मुख्य रूप से कहीं न कहीं से बच्चों से जुड़ा है.
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आयोग बच्चों के इन 70 प्रतिशत से संबंधित मामलों के समाधान के लिए कार्य करता है ताकि ये जिले आकांक्षी जिले के सूची से बाहर आ सके तथा इन जिलों के बच्चे सारे देश के अन्य जिलों के बच्चों की तरह अपना अधिकार उतना पा सके जितना संविधान द्वारा उन्हें दिया गया है. उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा दुमका में 20 वां कैम्प आयोजित किया गया है. जिसमें 209 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें 87 शिकायतों का त्वरित निराकरण का आदेश दिया है. वहीं कई मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया है. दिव्यांग बच्चों से संबंधित मामलों को जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेशन कैम्प लगाकर दूर किया जाएगा. आगामी 15 तारीख को सदर अस्पताल दुमका में मेडिकल बोर्ड की टीम उपस्थित रहेगी.
सदर अस्प्ताल में समाज कल्याण विभाग द्वारा भी स्टॉल लगाया जाएगा. इस दौरन वैसे बच्चे जो दिव्यांग सर्टिफिकेट मिलने के बाद पेंशन योजना के हकदार होंगे उन्हें मौके पर ही दिव्यांग पेंशन की स्वीकृति दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पोक्सो से संबंधित एक मामला प्रकाश में आया है. कस्तूरबा विद्यालय, स्पॉन्सरशिप के भी कई आवेदन आयोग को प्राप्त हुए हैं. सभी मामलों में उचित निर्देश दिया गया है. कुछ मामलों में बाल कल्याण समिति द्वारा मौके पर ही उनके बच्चों की काउंसलिंग कर बयान दर्ज किए गए हैं एवं संबंधित विभागों को आवश्यक कार्रवाई हेतु निर्देश दिया गया है.
उन्होंने कहा कि आयोग की टीम पिछले 2 दिनों से यहां कार्य कर रही थी. सभी लोगों का सहयोग आयोग की टीम को मिला है. इसी क्रम में आयोग की टीम के द्वारा ऑब्जरवेशन होम का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई ऐसे भी बच्चे हो सकते हैं जिनकी आयु 18 वर्ष हो चुकी हो. इस संबंध में संबंधित बोर्ड एवं संबंधित विभाग को निर्देश दिया गया है कि एडिशनल कलेक्टर के समक्ष इन बच्चों का मेडिकल परीक्षण कराया जाय एवं उन्हें जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाय.
Source : विकास प्रसाद साह