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अंकिता के परिवार को विधायक बसंत सोरेन ने दिया धोखा! सरकारी नौकरी के नाम पर किया ऐसा

झारखंड के दुमका में पिछले 23 अगस्त को शाहरुख नामक एक सिरफिरे युवक ने सोई हुई अवस्था में अंकिता नामक लड़की के ऊपर पेट्रोल छिड़ककर उसे आग के हवाले कर दिया.

Updated on: 14 Sep 2022, 01:26 PM

Dumka:

झारखंड के दुमका में पिछले 23 अगस्त को शाहरुख नामक एक सिरफिरे युवक ने सोई हुई अवस्था में अंकिता नामक लड़की के ऊपर पेट्रोल छिड़ककर उसे आग के हवाले कर दिया. इस घटना में अंकिता की मौत इलाज के दौरान रांची के रिम्स में हो गई. जिसके बाद पूरे देश ने अंकिता के लिए इंसाफ की मांग की और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन का दौर जारी हो गया. अंकिता की मौत की खबर के बाद स्थानीय विधायक बसंत सोरेन उनके परिजनों से घर जाकर मिले और घटना की निंदा करते हुए परिवार को सहयोग का भरोसा दिया. परिजनों ने उनसे एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की. 11 सितंबर को विधायक बसंत सोरेन दूसरी बार अंकिता के घर पहुंचे और उसकी बड़ी बहन इशिका को एक नियुक्ति पत्र समर्पित किया और लोगों को इसकी जानकारी भी भी दी गई. इस खबर ने खुब सुर्खियां बटोरी.

इस मदद के बाद परिवार के लोग भी काफी खुश नजर आए, लेकिन आज अचानक कहानी में एक नया मोड़ आ गया. दरअसल, जब अंकिता की बड़ी बहन इशिका नियुक्ति पत्र डीसी को वापस करने समाहरणालय पहुंच गयी. डीसी रविशंकर शुक्ला से मिलकर इशिका ने नियुक्ति पत्र को लेकर कई सवाल खड़े किए. साथ ही पूछा जब सरकारी नौकरी का भरोसा दिया गया तो फिर ठेके कंपनी में 4th ग्रेड की नौकरी क्यो? जब इशिका पहुंची तब मीडियाकर्मी भी वहां मौजद थे.

डीसी ने मामले को समझते हुए इशिका और उसके पिता को अपने कक्ष में ले जाकर उन्हें भरोसा दिया कि सरकारी नौकरी भी उन्हें दिया जाएगा, लेकिन थोड़ा इंतजार करना होगा. कक्ष में प्रवेश के साथ इशिका को बुलाया गया. गौरतलब है कि डीसी कक्ष में जाने के पूर्व इशिका ने जो मीडिया को बयान दिया वह काफी हैरान करने वाला है. इशिका से समाहरणालय आने का कारण पूछे जाने पर उसने बताया कि यह नियुक्ति पत्र डीसी साहब को लौटाना है. नियुक्ति पत्र विधायक बसंत सोरेन के द्वारा दिया गया है, लेकिन वह इस नियुक्ति पत्र से संतुष्ट नहीं है क्योंकि बात सरकारी नौकरी की हुई थी और यह प्राइवेट जॉब का नियुक्ति पत्र दिया गया, वह भी चपरासी का.

सूत्रों की मानें तो इशिका अभी खुद नाबालिग है. आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि 27 अप्रैल 2005 है.  उसे दोबारा नियुक्ति पत्र देने का भरोसा दिया गया है, जिसमें पद आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा कंप्यूटर ऑपरेटर का होगा लेकिन इसके लिए उसे बालिग होने तक इंतजार करना होगा. अब सवाल उठता है कि क्या जिस वक्त विधायक बसंत सोरेन अंकिता की बड़ी बहन इशिका को नियुक्ति पत्र दे रहे थे, उस वक्त क्या परिवार को नहीं बताया गया कि यह नियुक्ति पत्र सरकारी नौकरी के लिए है या अनुबंध आधारित नौकरी के लिए. क्या नियुक्ति पत्र निर्गत करने से पहले इशिका के कागजात की जांच हुई थी? उस दिन परिजन बहुत खुश थे तो आज फिर नाराजगी क्यों? क्या इस नाराजगी के पीछे कुछ राजनीति तो नहीं?