लोहरदगा में मिड डे मील के साथ हो रहा है मजाक, बच्चों को परोसा जा रहा बासी खाना

सरकारी विद्यालयों में जैसे ही घंटी बजती है, बच्चे दौड़कर बाहर निकलते हैं क्योंकि घंटी का मतलब ही होता है कि बच्चों को खाना मिलेगा.

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Vineeta Kumari
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लोहरदगा में मिड डे मील के साथ हो रहा है मजाक( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

सरकारी विद्यालयों में जैसे ही घंटी बजती है, बच्चे दौड़कर बाहर निकलते हैं क्योंकि घंटी का मतलब ही होता है कि बच्चों को खाना मिलेगा. वहीं, लोहरदगा के सरकारी विद्यालय में घंटी बजने के बाद दोपहर में बच्चे अपने कक्षाओं से बाहर नहीं आना चाहते. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली ये बच्चियां मिड डे मील के भोजन को किसी भी रूप में पसंद नहीं करती क्योंकि इनका कहना है कि मिड डे मील का खाना बासी होने के साथ-साथ आधा कच्चा और अधपका होता है. जिसके खाने से इन बच्चों की तबीयत बिगड़ने के साथ-साथ पेट में भी दर्द होती है. इनका कहना है कि जब से विद्यालय से बाहर से बनकर भोजन आने लगा है, तब से यह समस्या उत्पन्न हुई है. इन बच्चियों को भूखा रहना पसंद है, लेकिन मध्याह्न भोजन करना बिलकुल भी पसंद नहीं है.

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बच्चों को परोसा जा रहा बासी खाना

राज्य सरकार के द्वारा की गई व्यवस्था को इन बच्चियों के द्वारा पसंद नहीं किया जा रहा है. इनका कहना है कि सेंट्रलाइज्ड किचन के द्वारा तैयार किया गया एमडीएम किसी भी परिस्थिति में खाने लायक नहीं होता है. दाल में पानी और हल्दी के अलावा कुछ नहीं मिलता है और अगर कुछ मिलता है तो वह भी कच्चा रहता है. सब्जी में खट्टापन रहने की वजह से वह खाने लायक नहीं होता है, सब्जियां ठीक से कटी हुई नहीं होती है और चावल भी कई प्रकार से कच्चा पका होता है. इन बच्चियों ने सेंट्रलाइज्ड किचन की व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

मिड डे मील के साथ हो रहा है मजाक

लोहरदगा के विद्यालयों में एमडीएम के भोजन से मिलने वाली शिकायतों को जिला शिक्षा अधीक्षक भी वाकिफ हैं. इन्होंने कहा कि बीते दिनों लगातार मिल रही शिकायतों को दूर करने के लिए टीम का गठन किया गया है. इन्होंने कहा कि जब यह विद्यालयों के भ्रमण में होती है तो मिड डे मील का खाना खुद भी खाती है. इन्होंने कहा कि डीसी के निर्देशानुसार टीम का गठन कर एमडीएम को सुधारने की दिशा में कदम उठाया गया है.

मध्याह्न भोजन करने से डरती हैं छात्राएं

छात्राओं को विद्यालय में ही मध्याह्न भोजन देने की व्यवस्था सरकार के द्वारा बेहतर सोच के साथ की तो गई थी, लेकिन समय के साथ या उद्देश्य कई रूपों में तब्दील हो गया. पहले बच्चों के लिए यह बेहतर कदम था, लेकिन अब मध्याह्न भोजन से बच्चे ही कदम पीछे हटा रहे हैं. अब देखना है कि बच्चों के हित में उठाए गए इस कदम को आने वाले दिनों में सुधार होता है या फिर फाइलों में ही सुधार किया जाता रहेगा.

HIGHLIGHTS

  • लोहरदगा में मिड डे मील के साथ मजाक
  • बच्चों को परोसा जा रहा बासी खाना
  • मध्याह्न भोजन करने से डरती हैं छात्राएं

Source : News State Bihar Jharkhand

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