लोहरदगा: ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के प्रति हो रहा किसानों का झुकाव
लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड क्षेत्र के सेरेंगहातू गांव में किसानों ने पहली बार ड्रैगन फ्रूट्स की खेती करने का कार्य किया जा रहा है.
highlights
. लोहरदगा की नई पहचान बन रहा ड्रैगन फ्रूट्स
. ड्रैगन फ्रूट्स की खेती कर रहे किसान
. डीसी ने कही ड्रैगन फ्रूट्स की खेती को बढ़ावा देने की बात
Lohardaga:
लोगहदगा के अन्नदाता सिर्फ धान, गेहूं उगाने तक सीमित नहीं हैं बल्कि आम, लीची के बाद अब ड्रैगन फ्रूट्स का भी उत्पादन कर रहे हैं. लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड क्षेत्र के सेरेंगहातू गांव में किसानों ने पहली बार ड्रैगन फ्रूट्स की खेती करने का कार्य किया जा रहा है. पांच एकड़ भूमि में इसका उत्पादन विभिन्न प्रखंड क्षेत्र में हो रहा है. ड्रैगन फ्रूट्स की खेती करने वाले किसानों का मानना है कि ड्रैगन फ्रूट्स की मांग ज्यादा है. अपने गुणों की वजह से लगातार बाजार में अपनी उपलब्धता ड्रैगन फ्रूट्स बना रहा है. किसानों का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट्स को अब लोग धीरे-धीरे जानने और पहचानने लगे हैं और यही कारण है कि इसकी मांग अब ज्यादा हो रही है.
ड्रैगन फ्रूट्स की खेती को लेकर लोहरदगा के डीसी वाघमारे प्रसाद कृष्ण का कहना है कि ड्रैगन फल का उत्पादन जिले में होना खुशी की बात है. प्रशासन के द्वारा इस फल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है साथ ही उन्हें सुविधाएं देने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है. डीसी ने कहा कि उद्यान विभाग भी ड्रैगन उत्पादन में किसानों को सब्सिडी सहित अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है.
कुल मिलाकर लोहरदगा जिला अब फल उत्पादन करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है. बता दें कि ड्रैगन फ्रूट्स के पौधों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं है. कांटेदार सामान्य रूप से दिखने वाले इस पौधे में गुणकारी फल ड्रैगन के फलने का इंतजार लोहरदगा के किसानों को भी है ताकि लोहरदगा के साथ साथ पूरे झारखंड को ड्रैगन फ्रूट्स का स्वाद दिया जा सके.
कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था लोहरदगा
कभी नक्सलियों का गढ़ रहा लोहरदगा अब किसानों की वजह से नित नए मुकाम हासिल कर रहा है और इतिहास रच रहा है. अब लोहरदगा मीठे स्वादिष्ट फलों के उत्पादन के लिए पहचाना जाने लगा है. किसानों ने जिले को एक नई पहचान दी है. अब अगर किसानों को सरकार का थोड़ा सा साथ मिल जाए और सब्सिडी के साथ-साथ बाजार भी उपलब्ध करा दिए जाएं तो लोगों को पलायन नहीं करना पड़ेगा और किसान खुशहाल रहेगा.
रिपोर्ट: गौतम लेनिन
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