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लातेहार में खुली शिक्षा व्यवस्था की पोल, स्कूल ग्राउंड में पढ़ने को मजबूर छात्र

राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होने या करने को लेकर भले ही दावा करती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है.

Updated on: 05 Jul 2023, 04:37 PM

highlights

  • स्कूल फील्ड में पढ़ाई करने को मजबूर छात्र
  • शिक्षा व्यवस्था बदहाल
  • छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़

Latehar:

राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होने या करने को लेकर भले ही दावा करती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है. लातेहार में शिक्षा विभाग की हालत इतनी बदतर है कि पढ़ने वाले छात्रों को ना पर्याप्त कमरे उपलब्ध है और ना ही उतने शिक्षक हैं, जितने होने चाहिए. दरअसल, लातेहार के बालूमाथ प्रखंड मुख्यालय स्थित राजकीय कृत प्लस टू उच्च विद्यालय में महज 17 कमरे हैं, जिसमें से कुल 10 कमरों में पढ़ाई होती है, बाकी कमरों का उपयोग लाइबेरी, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर रूम, ऑफिस समेत अन्य कार्यों के लिए किया जाता है. 

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कमरे के अभाव में स्कूल फील्ड में पढ़ाई करने को मजबूर छात्र

कुल कमरों के हिसाब से स्कूल में 1000 बच्चों के ही बैठने की क्षमता है. न्यूज़ स्टेट की पड़ताल में यह बात सामने आई कि साल 2023-24 में 9वीं कक्षा में 397 बच्चों का नामंकन हुआ है. वहीं, 10वीं कक्षा में 457, 11वीं में 1,200 छात्रों का नामांकन किया गया है. 12वीं के बच्चों को मिलाकर कुल 3,500 बच्चे मौजूदा समय में अध्ययनरत हैं, जिन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए दो-चार होना पड़ रहा है.

शिक्षा व्यवस्था बदहाल

सरकारी शिक्षा का स्तर कैसा हो गया है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. शिक्षा व्यवस्था बदहाल होने की कई वजह है. दरअसल, जिस स्कूल की बात हम कर रहे हैं उस स्कूल में एक कक्षा को चलाने के लिए तीन सेक्शन बनाए गए हैं. 9वीं कक्षा में कुल तीन सेक्शन है, जिसमें प्रत्येक सेक्शन में 200 बच्चे हैं. 10वीं क्लास में भी तीन सेक्शन हैं और एक सेक्शन में 200 बच्चे पढ़ते हैं, जबकि 11वीं कक्षा में आर्ट्स में तीन सेक्शन हैं, एक सेक्शन में 350 बच्चों को बैठाया जाता है. वहीं, साइंस और कॉमर्स में एक-एक सेक्शन हैं. 

3,500 नामांकन वाले विद्यालय में मात्र 17 कमरे

आपको बता दें कि स्कूल में खेलने के लिए एक बड़ा मैदान भी है. इस मैदान में बालूमाथ के सभी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. यहां कई पदाधिकारी व नेता का आवागमन होते रहता है. फिर भी किसी भी पदाधिकारी व नेता का इस विद्यालय पर कोई ध्यान नहीं है. वहीं, 3,500 नामांकन वाले विद्यालय में मात्र 17 कमरा व 17 शिक्षक के भरोसे विद्यालय को चलाया जा रहा है. 

प्रिंसिपल ने दी सफाई

स्कूल की प्रिंसिपल रूबी बानो से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो संसाधन उपलब्ध कराया गया है. प्रिंसिपल ने न्यूज़ स्टेट के सवाल का जवाब देते हुए इस बात से पूरी तरह इनकार कर दिया है कि कोई भी छात्र बाहर फील्ड में कभी पढ़ाई नहीं करते है. प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल में कुल 27 कमरे हैं, जिसमे 17 कमरों में पढ़ाई होती है. उन्होंने यह स्वीकार किया है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी है. इधर छात्रों का दावा है कि वह बाहर पढ़ाई करते हैं. इतना ही नहीं बल्कि जगह नहीं होने के कारण कई बार छात्र वापस घर भी लौट जाते हैं. छात्रों ने यह भी दावा किया है कि एक बेंच जिसमे 4 बच्चों की क्षमता है, उसमें 7 से 8 छात्रों को बैठाया जाता है.

छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़

इधर स्कूल के ही एक शिक्षक राजीव रंजन ने न्यूज़ स्टेट को बताया कि छात्रों की संख्या ज्यादा होने पर उन्हें बाहर फील्ड में बैठकर पढ़ाया जाता है. उन्होंने बताया कि स्कूल में कुल 17 ही कमरे हैं, जिसमे लगभग 10 कमरों में पढ़ाई होती है. बाकी अन्य कमरे ऑफिस समेत अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर कौन क्या छुपा रहा है. इससे एक बात तो साफ है कि स्कूल में छात्रों को कमरे और शिक्षक दोनों की ही कमी खल रही है. उनके भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. आखिर इन हजारों छात्रों के भविष्य से कौन खिलवाड़ कर रहा है. क्या इनकी समस्या पर जिला प्रशासन या सरकार कोई एक्शन लेगी.