JMM ने चुनाव आयोग पर निकाली भड़ास, कह दी ये बड़ी बात

इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ( ECI) अब इलेक्शन चॉइस इंडिया बन गया है, जो केवल 7 रेस कोर्स के इशारे पर अपने निर्णय लेता है.

इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ( ECI) अब इलेक्शन चॉइस इंडिया बन गया है, जो केवल 7 रेस कोर्स के इशारे पर अपने निर्णय लेता है.

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Vineeta Kumari
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JMM ने चुनाव आयोग पर निकाली भड़ास( Photo Credit : फाइल फोटो)

इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ( ECI) अब इलेक्शन चॉइस इंडिया बन गया है, जो केवल 7 रेस कोर्स के इशारे पर अपने निर्णय लेता है. ये कहना है JMM के सेंट्रल कमिटी सदस्य व वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य का, जो आज पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ऑफ इंडिया का देश में 1951 में संविधान के तहत एक संस्थान का गठन हुआ था. इधर कुछ वर्षों में देखा गया कि 2014 के बाद कुछ के पक्ष में चुनाव आयोग कुछ ऐसा निर्णय लेने लगा है, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगा है. अभी कल ही हिमाचल और गुजरात में चुनावों की घोषणा होनी थी, अब तक यही ट्रेंड रहा है पर हिमाचल चुनावों की घोषणा हो गयी क्योंकि इस बार मोदी जी हिमाचल के लिए वंदे ट्रेन और हायडल प्रोजेक्ट की घोषणा करते हैं. 

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घोषणा के साथ ही चुनाव की तिथि घोषित हो जाती है पर गुजरात के चुनाव की घोषणा नहीं होती है क्योंकि गुजरात के लिए चुनावों से पहले कोई घोषणा नहीं होती है. यह संयोग नहीं, यह पद्धति बन गया है. ECI अब इलेक्शन चॉइस इंडिया बन गया है. यह गंभीर विषय है. भाजपा का अब मिशन हो गया है, मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों को समाप्त कर उनके सिंबल को फ्रिज किया जा रहा. रामविलास के निधन के बाद उनके पार्टी को तोड़ा गया और उनके पार्टी के सिंबल को फ्रिज किया गया. वहीं कहानी महाराष्ट्र में दुहरायी गयी, जो क्षेत्रिय दल है. उन्हें मिटाने का काम शुरू किया गया है. अपनी सत्ता को बचाने के लिए 2014 के बाद देश ने देखा है कि कैसे-कैसे हथकंडे अपनाए गए.

चुनाव आयोग अब इलेक्शन चॉइस ऑफ इंडिया ये में यू ही नहीं कह रहा हूं. इसके पीछे कुछ वजह और भी हैं, हमने भी चुनाव आयोग में कुछ शिकायतें दर्ज कराई थी, जिसका कुछ अता पता नहीं है. कुछ लोगों की शिकायतों पर चुनाव आयोग संज्ञान भी लेता है, सुनवाई भी करता है और जब शिकायतों पर लिए गए निर्णयों की जानकारी मांगी जाती है तो कहा जाता है कि ये ऑफिशियल सीक्रेट के तहत गोपनीयत का हवाला दिया जाता है. अब इसपर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को संज्ञान लेने की आवश्यकता है.

Source : News State Bihar Jharkhand

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