बीजेपी की तैयारी दिख रही चौकस, JMM और JVM के नहीं सुलझ रहे मसले
सीटों के बंटवारे और गठबंधन का स्वरूप तय करने में ये दल अब तक अनमने से नजर आ रहे हैं, जिस कारण महागठबंधन को लेकर संशय बना हुआ है.
New Delhi:
झारखंड में इस साल के अंत में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता झारखंड का दौरा कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) महागठबंधन नेतृत्व के मसले पर आपस में उलझ पड़े हैं. सीटों के बंटवारे और गठबंधन का स्वरूप तय करने में ये दल अब तक अनमने से नजर आ रहे हैं, जिस कारण महागठबंधन को लेकर संशय बना हुआ है.
भले ही झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों की अभी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राज्य के 81 विधानसभा सीटों में से 65 विधानसभा सीटों पर जीत (अबकी बाार 65 पार) की योजना बनाकर भाजपा बूथों तक में अपनी तैयारी मजबूत करने में जुटी है.महागठबंधन की इच्छुक झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन इस बीच अपनी 'बदलाव यात्रा' को लेकर राज्य के दौरे पर अपने कार्यकर्ताओं को जीत के लिए उत्साहित कर रहे हैं.
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महागठबंधन के एक नेता का कहना है कि महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर घटक दलों में सहमति नहीं बन रही है, जिस कारण महागठबंधन को लेकर विपक्षी दलों में एकता नहीं बन रही है.महागठबंधन के दल हेमंत सोरेन के नेतृत्व को ही नकार रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन की अगुआई की थी.उस समय दिल्ली में हुए सीट बंटवारे के बाद कहा गया था कि हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के नेता होंगे.लेकिन, अब स्थिति बदल गई है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने रामेश्वर उरांव कहते हैं, "कांग्रेस महागठबंधन के तहत चुनाव में जाने को तैयार है, परंतु महागठबंधन का नेता कौन होगा, यह तय नहीं है.विपक्षी दल के नेता जब बैठेंगे तब यह तय होगा." उन्होंने कहा कि अभी तो महागठबंधन का स्वरूप ही तय नहीं है. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी अपने पार्टी की तैयारी को लेकर 'बदलाव यात्रा' पर निकल पड़े हैं.हालांकि वे महागठबंधन के प्रश्न पर खुद के त्याग की भी बात करते हैं.
उन्होंने अपनी यात्रा के क्रम में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बुधवार को कहा था, "एलायंस केवल प्रीपोल ही नहीं होता है, पोस्टपोल भी होते हैं.वैसे, विपक्षी दलों से बातचीत हो रही है.समय आने पर इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी."
वैसे, झामुमो सूत्र बताते हैं कि झामुमो चुनाव में सभी 81 सीटों पर भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है. उधर, कांग्रेस भी संगठन में फेरबदल के बाद उत्साह में है.कांगेस के नेताओं की मानें तो उनकी तैयारी 30 सीटों पर है.वैसे, कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी कहते हैं कि कांग्रेस को महागठबंधन के तहत चुनाव मैदान में जाना मंजूरी है.
इधर, झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी महागठबंधन को लेकर 'वेट एंड वाच' की स्थिति में हैं.मरांडी ने भी दावा किया कि उनकी पार्टी भी सभी सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है.
राजद के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी पिछले दिनों रांची दौरे के क्रम में 12 सीटों पर दावा ठोंककर महागठबंधन की राह मुश्किल कर दी है. ऐसे में देखा जाए तो महागठबंधन में शामिल होने वाले दलों ने जितनी सीट पर दावा ठोंक रहे हैं, उतनी सीटें भी झारखंड विधानसभसा में नहीं है.
दूसरी तरफ, भाजपा ने न सिर्फ अपने लिए 65 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य तयकर चुनावी मोड में आ चुकी है.भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह भी झारखंड का दौराकर कार्यकर्ताओं में जोश भर चुके हैं.मुख्यमंत्री रघुबर दास भी 'हर घर, रघुबर' का नारा देकर झामुमो के गढ़ माने जाने वाले संथाल परगना से अपनी 'आर्शीवाद यात्रा' शुरू की है.
भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आईएएनएस से कहा, "विपक्ष का गठबंधन को वास्तविकता में ठगों का गठबंधन है." प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने भी अपने सहयोगियों की तुलना चोरों से कर दी थी.पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष डॉ़ अजय कुमार ने कांग्रेस के अपने पूर्व सहयोगियों को अपराधियों से भी बदतर बताया था.इन दोनों नेताओं के बयानों से यह स्पष्ट है कि गठबंधन के घटक दलों का एक दूसरे के लिए कितना सम्मान है."
उन्होंने कहा, "यह साफ है कि बिना नीति सिद्धांत का यह गठबंधन बनाने की कोशिश हो रही है.सिर्फ जनता के साथ लूट-खसोट करने के लिए गठबंधन बनाने में विपक्षी नेता लगे हुए हैं.यहां व्यक्तिगत आकांक्षाएं इतनी ज्यादा हैं कि विपक्षी दलों और नेताओं को जनता की चिंता नहीं है.वे सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए एक होना चाह रहे हैं."
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