सिमडेगा जिला के बानो और जलडेगा और बांसजोर प्रखंड में पिछले कुछ दिनों से जंगली हाथी एक गंभीर समस्या बनते जा रहा हैं. हाथियों के झुंड से बिछड़े दो हाथियों ने क्षेत्र में आतंक मचा रखा है. तीन दिनों में हाथियों ने तीन लोगों की जान ले ली है. तीन लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया है. सिमडेगा का बानो और जलडेगा प्रखंड त्रस्त है. यहां हाथियों का प्रकोप से. इन हाथियों के झुंड से बिछुड़े दो हाथी आतंक मचा रहे हैं. इस दौरान ग्रामीण काफी परेशान हैं. सिमडेगा के जलडेगा और बानो प्रखंड में जंगली हाथी अपना अड्डा जमाए बैठे हैं.
हाथियों से निजात दिलाने की मांग
हाथी भोजन की तलाश में गांव की तरफ रूख कर ग्रामीणों के घरों को तोड़कर घर में रखे अनाज खा जाते हैं. इस दौरान हाथी की चपेट में आने से ग्रामीण घायल होते हैं और कुछ की मौत भी हो जाती है. हाथियों की समस्या को दूर करने के लिए वन विभाग दावे तो बहुत करता है लेकिन दावे विफल साबित होते नजर आने लगे हैं. बानो जिला परिषद सदस्य हाथी के आतंक पर चिंता जताते हुए प्रशासन से हाथियों से निजात दिलाने की मांग की है.
मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया की जाएगी
आपको बता दें कि बानो प्रखंड के बुरूइरगी निवासी विकास ओहदार नामक व्यक्ति की जंगली हाथी के कुचलने से मौत हो गई.वहीं दूसरी ओर पबुडा पंचायत के जमांग निवासी महुआ चुनने गई सीब्रीया लुगुन को हाथी ने कुचल कर मार डाला. तीसरी घटना बांसजोर में हाथी के हमले से रोबगा ज्ञानी टोली निवासी जीवन बडिंग नामक व्यक्ति घायल हो गया था. उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. घटना को लेकर रेंजर अभय कुमार से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि हाथी झुंड से अकेले होने से उग्र हो गए हैं. गर्मी में खाने के लिए चारा और पानी के लिए परेशान होने के कारण वे ज्यादा उग्र हो गए हैं. जंगल में महुआ चुनने के नाम पर ग्रामीणों की ओर से जंगल में आग लगाने से उनके रहने के ठिकाने प्रभावित हुए है. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को जल्द ही मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया की जाएगी.
हाथियों के आतंक से कोलेबिरा विधायक काफी चिंतित नजर आए. उन्होने कहा हाथियों के कारण लोग रतजगा कर रहे जिससे ग्रामीणों को कार्य करने में परेशानी होती है. उन्होने कहा अब वे हाथियों की समस्या के लिए आरपार की लडाई लडेगें और इन दो हाथियों को आतंकी घोषित करते हुए सिमडेगा से दुर ले जाने की मांग करेगें. अभी तक तो हाथियों की समस्या के समाधान का सार्थक प्रयास नहीं हुआ है. अगर वाकई एक सार्थक प्रयास हो तो संभव है सिमडेगावासीयों को गजराज के कहर से निजात मिल जाए.