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भारतीय गांवों में छऊ नृत्य सीख रही इटली की सोफिया कोवरीच, लोगों ने कहा- 'हमारा देश सच में बदल रहा है'

कोल्हान की कला और संस्कृति की गूंज सात समंदर पार पहुंच गई है। इटली की सोफिया कोवरीच छऊ नृत्य के आकर्षण में बंध कर सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत जामडीह आई हैं.

Updated on: 21 Mar 2023, 12:14 PM

Saraikela:

कोल्हान की कला और संस्कृति की गूंज सात समंदर पार पहुंच गई है। इटली की सोफिया कोवरीच छऊ नृत्य के आकर्षण में बंध कर सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत जामडीह आई हैं. इटली की सोफिया कोवरीच सरायकेला जिले के नीमडीह प्रखंड में आकर जो नृत्य का प्रशिक्षण ले रही हैं वो छऊ नृत्य के गोरी मेम सोफिया की दीवानी देख स्थानीय लोग दांतों तले उंगली दबा रहे हैं. हर कोई का बस एक ही कहना है, सच में देश बदल रहा है.

बता दें कि छऊ नृत्य का प्रशिक्षण ले रही महिलाएं इटली की हैं. स्थानीय कलाकारों के साथ ताल से ताल मिला कर छऊ नृत्य में खोई हुई हैं. देख ऐसा लग रहा है कि यह महिला भारतीय हैं, जो इतनी लगन से छऊ नृत्य कर रही हैं. छऊ नृत्य को लेकर महिला की दीवानगी इतनी है कि वे अपने खर्च पर भारत आई हैं और छऊ नृत्य का प्रशिक्षण ले रही हैं. सोफिया कोवरीच का मानना है कि, इटली विकसित राज्य है, लेकिन कला और संस्कृति से कोसों दूर है. वहीं सोफिया कोवरीच कहती हैं कि, उन्होंने भारतीय लोकनृत्य और कला के बारे में काफी कुछ सुन रखा था. शांति निकेतन में उन्होंने छऊ नृत्य के उस्ताद अधीर कुमार से ट्रेनिंग लेना शुरू किया. प्रशिक्षण अवधि पूरी होने के बाद सोफिया कोवरिच छऊ गांव के नाम से मशहूर नीमडीह प्रखंड के जामडीह आ गईं. यहां वह छऊ नृत्य का कड़ा अभ्यास कर रही हैं. हर दिन अपने अभ्यास में वो आठ से दस घंटे पसीना बहा रही हैं. प्रशिक्षक अधीर कुमार के मुताबिक, नोवा छऊ नृत्य में पारंगत हो चुकी हैं और इस कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने में जुटी हुई हैं.

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सोफिया कोवरीच हैं विदेशी

आपको बता दें कि सोफिया कोवरीच को प्रशिक्षण गुरु अधीर कुमार दे रहे हैं. अधीर कुमार पिछले 15 सालों से लोगों को छऊ नृत्य सिखा रहे हैं. बता दें कि अधीर कुमार विदेशों में नृत्य करते हैं, फिर वहां के जो लोग प्रशिक्षण लेना चाहते हैं उन्हें अपने साथ भारत में प्रशिक्षण देने के लिए लेकर आते हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि, देश की संस्कृति को अधीर कुमार बचा रहे हैं, लेकिन उनके परिवार के अच्छे पालन-पोषण के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. अधीर कुमार अपने परिवार को चलाने के लिए बकरियां पालते हैं.

ये हैं अधीर कुमार छऊ गुरु

भारत के युवा अपनी कला और संस्कृति को छोड़कर तेजी से पाश्चात्य सभ्यता को अपना रहे हैं. वहीं पश्चिम के युवा भारतीय कला और संस्कृति के दीवाने हैं. सोफिया कोवरीच को देख ऐसा लग रहा है कि भारत वाकई तेजी से बदल रहा है.