Jharkhand News: सरायकेला में विस्थापितों का जल सत्याग्रह, नदी में घुसकर किया प्रोटेस्ट
सरायकेला में हजारों की संख्या में लोगों ने जल सत्याग्रह किया. अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले हुए इस जल सत्याग्रह को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क दिखा और चांडिल डैम के आसपास सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया.
highlights
- अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन
- चांडिल डैम में था सत्याग्रह का कार्यक्रम
- चांडिल डैम के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
Saraikela:
सरायकेला में हजारों की संख्या में लोगों ने जल सत्याग्रह किया. अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले हुए इस जल सत्याग्रह को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क दिखा और चांडिल डैम के आसपास सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया. इसके बाद ईचागढ़ प्रखंड पातकुम स्वर्ण नदी घाट में सैकड़ों की तादात में विस्थापितों ने अपनी मांग को लेकर जल सत्याग्रह किया. मामला ईचागढ़ प्रखंड पातकुम के स्वर्ण नदी घाट का है. जहां विस्थापित अपनी हक की मांग को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. इनका कार्यक्रम चांडिल डैम में जल सत्याग्रह का था, लेकिन जगह-जगह पर दंडाधिकारियों के साथ-साथ तैनात पुलिस जवानों ने उन्हें ऐसा करने से जब रोक दिया तो वे स्वर्ण नदी में ही जल सत्याग्रह करने लगे.
चांडिल डैम के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
वहीं, प्रशासन ने विस्थापितों को डैम तक जाने से रोकने के लिए विधिवत व्यवस्था कर रखी थी. प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. जगह-जगह पर दंडाधिकारी तैनात किए गए हैं. डैम के दोनों मेन राज्य मार्ग पर पुलिस जवान तैनात हैं. डैम के नौका विहार स्थल पर भी दंडाधिकारी तैनात किए गए हैं. बड़ी संख्या में महिला के साथ-साथ पुरुष बल की भी तैनाती की गई है.
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चांडिल डैम में था सत्याग्रह का कार्यक्रम
हालांकि इस दौरान अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो ने प्रशासन पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन नहीं करने देना संवैधानिक अधिकारों का हनन है. चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में चांडिल डैम में जल सत्याग्रह करने का कार्यक्रम था. जिसे पुलिस प्रशासन ने रोक दिया.
40 साल से मांग
40 सालों बाद अब तक विस्थापितों को मुआवजा और संपूर्ण पुनर्वास न मिलना अपने आप में अपराध के सामान है. ऐसे में जिला पुलिस प्रशासन का विस्थापियों के आंदोलन में सहयोग न करना कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता है. जरूरत है कि विस्थापितों की जायज मांग की जल्द से जल्द सुनवाई हो ताकि उनके रहने के आशियाने की व्यवस्था हो सके और उनके जिंदगी की गाड़ी सही पटरी पर सरपट दौड़ सके.
रिपोर्ट : बिरेंद्र मंडल
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