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होलिका दहन ( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
गुमला जिला में विभिन्न स्थानों पर होलिका दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां सुबह लोग पूरी तरह से स्नान कर पूजन सामग्री के साथ पहुचे थे. सबसे पहले पूरी विधि-विधान के साथ पुजारियों द्वारा पूजा की जाती है. इस दौरान पुरोहितों ने सभी के सुख शांति की कामना के साथ सभी के अंदर की गलत सोच को नाश करवाने का संकल्प दिलाया. पुरोहित शंकर पंडित ने बताया कि वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है जो गलत सोच पर सही सोच के विजय का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि इस पूजन से लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर आपके पास कुछ ईश्वरीय क्षमता है तो उसका दुरुपयोग ना करें और समाज के कल्याण के लिए उपयोग करें वरना आपका ही नाश होता है. वहीं इस पूजा का आयोजकों ने कहा कि आज की आधुनिक की दौर में हमारी कई प्राचीन परंपरा समाप्त हो रही है या उसपर आधुनिकता का प्रभाव बढ़ रहा है, लेकिन आज भी होलिका दहन प्राचीन परम्पराओं के अनुरूप होता है. इसका आयोजन कर अपनी भावी पीढ़ी को भी इस परंपरा को निभावने का पाठ पढ़ाते हैं.
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पूजा की ये है खासियत
इस पवित्र आयोजन में लोग पूरे परिवार के साथ पहुंचकर पूजा में शामिल होते हैं. साथ ही इस होलिका दहन की परिक्रमा भी करते है और लोगों का मानना है कि इस अग्नि की परंपरा मात्र से परिवार के कष्टों का नाश होता है. साथ ही खुशहाली आती है जो वर्षो से चली आ रही है. वहीं लोग नए अनाज के रूप में हरी चना को इस आग में जलाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. वहीं माशिल्वो ने कहा कि इस पर्व का उन्हें काफी बेसबरी से इन्तेजार होता है. इस होलिका दहन के बाद ही लोग रंग अबीर की होली खेलकर खुशियां बाटते हैं.
साथ ही लंबे समय के बाद सुबह के 4.48 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त होने के बाद भी लोग, जिस तरह से स्नान ध्यान पूजा करने के बाद होलिका दहन का कार्यक्रम किए और उससे स्पष्ट है कि इस पर्व को लेकर लोगों में कितना आस्था और विश्वास है जो बताता है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति को आज भी लोग पूरी आस्था के साथ निभा रहे हैं. यही भारत को विश्व मे अलग पहचान देता है.
Source : News State Bihar Jharkhand