Jharkhand News: वाह रे जज्बा, हर रोज जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं यहां के बच्चे

बरसात में नदियों में बहती तेज धारा और उफान मारने की तस्वीर आपने देखी होगी. इन धाराओं में लोगों को बहते भी देखा होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं.

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Jatin Madan
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सरकार से पुल बनाने की स्थानीय कर रहे मांग.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

बरसात में नदियों में बहती तेज धारा और उफान मारने की तस्वीर आपने देखी होगी. इन धाराओं में लोगों को बहते भी देखा होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं. जहां जान जोखिम में डालकर स्कूली बच्चे स्कूल चलें हम, चलते चले हम नारे को बुलंद कर रहें हैं. इनके जब्बे को सलाम करने का हर किसी का दिल चाहेगा. हाथों में चप्पल और कंधे पर बैग लिए ये बच्चे पढ़ने के लिए रोजाना इसी तरह से स्कूल जाते हैं. इनके अभिभावकों को रोज इनके लौटने तक डर बना रहता है कि उनका बच्चा सही सलामत घर वापस लौट आए.

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हाथों में चप्पल, कंधे पर बैग

ऐसा नहीं कि इन बच्चों के पंचायत में स्कूल नहीं है, लेकिन जो स्कूल है वो इनके घरों से छह से सात किलोमीटर दूर है. जहां तक पहुंचने के लिए इनके पास कोई साधन नहीं है. लिहाजा ये बगल की पंचायत में बने स्कूल में पढ़ने जाते हैं, लेकिन इस बीच उन्हें सकरी नदी को रोजाना पार करना पड़ता है. तस्वीरें कोडरमा के नक्सल प्रभावित इलाका सतगावां प्रखंड के बिहार-झारखंड बॉर्डर की है. जहां मीरगंज पंचायत के कानीकेंद गांव के कई बच्चे रोजाना जान जोखिम में डालकर अपने पंचायत के स्कूल को छोड़कर दूसरे पंचायत के स्कूल में जाकर पढ़ाई करने के लिए विवश हैं.

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सरकार से पुल बनाने की स्थानीय कर रहे मांग

आपने ऐसी ही कहानी देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पढ़ी और सुनी होगी. जो गंगा पार कर पढ़ाई करने के लिए जाया करते थे, लेकिन वो दौर दूसरा था. आज जब हम विकास की बात करते हैं और हालात ऐसे हों कि आपके हमारे बच्चों को नदी पार कर रोजाना स्कूल जाना पड़े या गांव की पंचायत में बने स्कूल तक पहुंचने में साधन न हो तो ऐसा विकास किस काम का.

इनकी कब सुनेगी सरकार

वहीं, इस मामले पर बीडीओ सतगावां से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है. ये सही है कि बच्चे नदी पार कर स्कूल आते जाते हैं. मामले को लेकर उपायुक्त को रिपोर्ट सौपेंगे और जल्द से जल्द सकरी नदी पर पुल बने इसका प्रयास करेंगे. बहरहाल, अब देखना ये है कि जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने वाले छात्रों के कठिन रास्ते को सुगम बनाने के लिए सकरी नदी पर प्रशासन कब तक पुल का निर्माण करवाता है ताकि इन नौनिहालों के लिए सुरक्षित रास्ते का इंतजाम हो सके और इनके अभिभावक स्कूल भेजने के बाद बेफ्रिक होकर रह सके.

रिपोर्ट : अरुण कुमार

HIGHLIGHTS

  • जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते बच्चे
  • नदी पर पुल न होने से हर रोज जिंदगी से जंग
  • सरकार से पुल बनाने की स्थानीय कर रहे मांग

Source : News State Bihar Jharkhand

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