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Jharkhand Poll: झारखंड को अलग राज्य बनाने में निभाई थी भूमिका, जानिए झामुमो के बारे में

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जो जन सामान्य के बीच जेएमएम नाम से प्रसिद्ध है) एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है, जो आदिवासियों का नेतृत्व करने के रूप में जानी जाती है. झारखंड में झामुमो मुख्य पार्टियों में से एक है.

Updated on: 18 Nov 2019, 12:40 PM

रांची:

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों से छोटे दल भी बड़े लक्ष्य को लेकर चुनावी मैदान में जोर आजमाइश कर रहे हैं. इस बार विपक्षी दलों राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का महागठबंधन चुनावी मैदान में उतर चुका है. राज्य में बीजेपी के खिलाफ बना महागठबंधन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है. राज्य में झामुमो 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो कांग्रेस 31 सीट और लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 7 सीटों पर अपना दांव लगा रही है.

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झारखंड मुक्ति मोर्चा (जो जन सामान्य के बीच जेएमएम नाम से प्रसिद्ध है) एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है, जो आदिवासियों का नेतृत्व करने के रूप में जानी जाती है. झारखंड में झामुमो मुख्य पार्टियों में से एक है. मौजूदा समय में यह पार्टी राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी है. हालांकि झारखंड के अलावा इसका प्रभुत्व समीपवर्ती राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी है. शिबू सोरेन इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि उनके बेटे हेमंत सोरेन फिलहाल पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. 

इस पार्टी का गठन 4 फरवरी 1973 को हुआ था. पार्टी का चिन्ह धनुष-तीर है. शिबू सोरेन ने शिवाजी समाज के विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी. उस समय विनोद बिहारी महतो झामुमो के अध्यक्ष और शिबू सोरेन महासचिव बनाए गए. 1991 में मोर्चा के तत्कालीन अध्यक्ष विनोद बिहारी महतो के निधन के बाद शिबू सोरेन को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. झारखंड मुक्ति मोर्चा का झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में काफी अहम योगदान रहा है. 22 जुलाई 1997 को  शिबू सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के आंदोलन के दबाव में ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बिहार विधानसभा से झारखंड बंटवारे का एक प्रस्ताव पारित कराया था. 

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लालू यादव उस समय अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन से चल रही थी. लेकिन1998 में जब लालू प्रसाद अपने वादे से मुकर गए तो इससे खफा झामुमो ने अपना समर्थन वापस ले लिया. हालांकि फिर 2000 में बिहार विधानसभा ने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए बिहार पुनर्गठन विधेयक-2000 पारित किया. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखंड भारत का 28वां राज्य बना.

2013 में झामुमो ने एनडीए के साथ गठबंधन किया था, जबकि 2014 में यूपीए के समर्थन से सरकार बनाई थी. 2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव हुए जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन सूबे के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत के अभाव में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. शिबू तीन बार राज्य की कमान संभाल चुके हैं. मनमोहन सिंह सरकार में वो कोयला मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन भी झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वर्तमान में लोकसभा के अंदर झामुमो की सीटों की संख्या 2 है. जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी.

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