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Jharkhand: 12 जिलों में घुस आए 100 से ज्यादा हाथी, सड़कों पर उतरे लोग

झारखंड में एक दर्जन से ज्यादा जिलों में इन दिनों हाथियों के अलग-अलग झुंड बस्तियों में जान-माल को नुकसान मचा रहे हैं तो दूसरी तरफ इनके आतंक से परेशान लोग मुआवजे और राहत की गुहार लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं.  हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड और आसपास के इलाकों में 22 हाथियों का एक झुंड पिछले दिनों से गांव-गांव घूमकर खेतों में खड़ी फसलों को रौंद रहा है और कच्चे मकानों को ध्वस्त कर रहा है. दहशत के मारे एक दर्जन गांवों के लोग रातें जागकर काट रहे हैं. सोमवार को ऐसे गांवों के सैकड़ों लोग पुरनाडीह चौक के पास एनएच 100 पर उतर आए और इसे तीन घंटे तक जाम कर दिया.

Updated on: 21 Nov 2022, 03:18 PM

रांची:

झारखंड में एक दर्जन से ज्यादा जिलों में इन दिनों हाथियों के अलग-अलग झुंड बस्तियों में जान-माल को नुकसान मचा रहे हैं तो दूसरी तरफ इनके आतंक से परेशान लोग मुआवजे और राहत की गुहार लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं.  हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड और आसपास के इलाकों में 22 हाथियों का एक झुंड पिछले दिनों से गांव-गांव घूमकर खेतों में खड़ी फसलों को रौंद रहा है और कच्चे मकानों को ध्वस्त कर रहा है. दहशत के मारे एक दर्जन गांवों के लोग रातें जागकर काट रहे हैं. सोमवार को ऐसे गांवों के सैकड़ों लोग पुरनाडीह चौक के पास एनएच 100 पर उतर आए और इसे तीन घंटे तक जाम कर दिया.

दारू, पुरनाडीह और आसपास के गांवों के लोगों के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में हाथियों ने 30 एकड़ से भी ज्यादा इलाके में आलू, गोभी और मटर की फसल रौंद डाली. एक ग्रामीण शिवचरण साहू की गाय को भी हाथियों ने कुचल डाला. कई घरों की दीवारों को भी हाथियों ने ध्वस्त कर दिया. वन विभाग के मुताबिक इस झुंड में एक गर्भवती हथिनी है. एक-दो दिन में बच्चा जन्म देने वाली है. इसलिए हाथी यहां से टस से मस नहीं हो रहे.

सामान्य तौर पर पानी के पास ही हथिनी बच्चे को जन्म देती है इस वजह से इन्हें यहां से हटाना भी मुश्किल हो रहा है. सोमवार को ग्रामीण जब सड़क पर उतरे तो वन विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे. उन्होंने आश्वस्त किया कि हाथियों को भगाने के लिए जल्द ही पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से विशेषज्ञों की टीम बुलाई जाएगी. अंचलाधिकारी ने भी ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि हाथियों द्वारा नष्ट की गई फसलों का मुआवजा दिलाया जाएगा.

उधर चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड के कई गांवों हाथियों का झुंड पिछले तीन दिनों से आबादी वाले इलाकों में घूम रहा है. गिद्धौर जंगल के रास्ते इटखोरी आए हाथियों का झुंड धुना, सिलाढ, कोनी आदि गांवों से गुजरा तो लोग घरों में ठिठक गए. यह झुंड अब हजारीबाग जिले के चौपारण थाना क्षेत्र के गांवों में प्रवेश कर गया है. इसके पहले चतरा जिले के टंडवा, गिद्धौर और पत्थलगड़ा प्रखंड के क्षेत्र में भी हाथियों के झुंड ने फसलों को नुकसान पहुंचाया था.

पिछले महीने रांची के खलारी कोयलांचल क्षेत्र और आसपास के ग्रामीण इलाकों में करीब दो हफ्ते तक जंगली हाथियों ने लगातार उत्पात मचाया. उन्होंने दो दर्जन से अधिक घरों को ध्वस्त कर दिया और करीब एक सौ एकड़ से अधिक भूमि में लगी धान की तैयार फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया.

अक्टूबर महीने में ही पश्चिम सिंहभूम जिले में हाथियों ने दर्जनों एकड़ क्षेत्र में फसलों को रौंद डाला. चाकुलिया प्रखंड के चंदनपुर पंचायत में जंगली सुकरा मुंडा नामक व्यक्ति को हाथी ने कुचलकर मार डाला.

इसके पहले गिरिडीह जिले के हाथियों ने एक साथ एक दर्जन से ज्यादा लोगों के कच्चे मकान ध्वस्त कर दिए.

अगस्त महीने में हजारीबाग जिले के टाटीझरिया में 13 हाथियों का झुंड कई दिनों तक तबाही मचाता रहा. अगस्त महीने में ही बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के पचमो पंचायत स्थित झुमरा पहाड़ की तलहटी में हाथियों ने करीब डेढ़ दर्जन ग्रामीणों के आवास को क्षतिग्रस्त कर दिया था. गुमला जिले के जारी, डुमरी और चैनपुर प्रखंड के ग्रामीण भी हाथियों के आतंक से परेशान हैं. उन्होंने पिछले महीने उन्होंने एक जनसभा कर अपने आक्रोश का इजहार किया था.

खूंटी जिले में हाथियों से परेशान लोग तो अब खेतों में फसल बचाने के लिए बिजली का नंगा तार छोड़ने लगे हैं. पिछले पांच महीनों में खूंटी में करंट लगने से चार हाथियों की मौत हुई है.

सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, कोडरमा, पलामू, लोहरदगा, लातेहार जिलों में भी विभिन्न क्षेत्रों में 100 से ज्यादा हाथी आबादी वाले इलाकों में मौजूद हैं और आतंक मचा रहे हैं.

हाथियों के जीवन और व्यवहार पर शोध करने वाले तनवीर अहमद बनाते हैं कि हाथियों का परंपरागत कॉरिडोर लगातार प्रभावित हो रहा है और इस वजह से वे आबादी वाले इलाकों में घुस रहे हैं. देशभर के 22 राज्यों में 27 हाथी कॉरिडोर हैं. झारखंड में एक भी हाथी कॉरिडोर नहीं है. एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारत में हाथियों के 108 कॉरिडोर चिन्हित हैं जिनमें 14 झारखंड में हैं, लेकिन एक भी अधिसूचित नहीं है.

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