खुले में अब नहीं बिकेगा मटन-चिकन... हाईकोर्ट सख्त, राज्य के सभी SP को मिला ये निर्देश
झारखंड के अनाधिकृत तरीके से संचालित मीट के शॉप के खिलाफ कोर्ट का सख्त रुख एक महत्वपूर्ण कदम है. यह निर्देश सभी झारखंड के जिलों के पुलिस अधीक्षकों को अपने क्षेत्र में अनाधिकृत रूप से संचालित मीट शॉप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का संकेत देता है.
highlights
- खुले में मीट बेचने वालों पर झारखंड HC सख्त
- सभी जिलों के एसपी को दिए ये निर्देश
- कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से मांगी यह जानकारी
Ranchi:
Jharkhand Meat Shop News: झारखंड के अनाधिकृत तरीके से संचालित मीट के शॉप के खिलाफ कोर्ट का सख्त रुख एक महत्वपूर्ण कदम है. यह निर्देश सभी झारखंड के जिलों के पुलिस अधीक्षकों को अपने क्षेत्र में अनाधिकृत रूप से संचालित मीट शॉप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का संकेत देता है. यह निर्देश न केवल अवैध व्यापारिक गतिविधियों को रोकने में मददगार होगा, बल्कि समाज की सुरक्षा और स्वास्थ्य की भी रक्षा करेगा. अनाधिकृत मीट के शॉप से जुड़ी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है, ताकि लोगों को नुकसान न हो. यह निर्देश न केवल कानून के पालन में सावधानी बढ़ाएगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन भी लाएगा.
आपको बता दें कि जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया है. यह जनहित याचिका श्यामानंद पांडे नाम के शख्स ने दायर की थी. वहीं उन्होंने खुले में मीट बेचने का मुद्दा उठाया था. बता दें कि इसको लेकर श्यामानंद पांडे ने कहा था कि, ''हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद भी राज्य में हर तरफ गैरकानूनी तरीके से मीट की दुकानें संचालित हैं.''
यह भी पढ़ें: ईडी ने योगेंद्र साव से शुरू की पूछताछ, अंबा प्रसाद ने आरोपों को बताया गलत
खुले में टांगे जाते हैं जानवरों के शव
अपनी याचिका में श्यामानंद पांडे ने बताया कि, ''राजधानी की सड़कों पर मरे हुए जानवरों के शव खुले में टांगे जाते हैं, जो कि नगर निगम के नियमों का उल्लंघन है. यह अवैध बूचड़खानों का एक और उदाहरण है जो बिना लाइसेंस के सड़क किनारे चलाई जा रही हैं. हालांकि, रांची नगर निगम ने भी इस मामले में कदम उठाया है और अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिसकी अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होने वाली है. यह स्थिति दरअसल कांके में है, क्योंकि बहुत कम ही मीट दुकान मालिक जानवरों को बूचड़खाने ले जाते हैं.'' बता दें कि इससे सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं का सामना किया जा रहा है, जो कि समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है.
कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से मांगी यह जानकारी
इसके साथ ही आपको बता दें कि इस मामले में पिछली सुनवाई में कोर्ट ने झारखंड के सभी जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को अवैध रूप से मांस की दुकानें चलाने वालों पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. साथ ही उनसे पूछा गया कि, ''जानवरों के मांस को ढकने के नियम को लागू करने के मुद्दे पर क्या कार्रवाई की गई है.'' इसको लेकर कोर्ट ने कहा था कि, ''इस बात की जांच की जाए कि मीट दुकानदारों के पास वैध लाइसेंस है या नहीं.''
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