हाय! झारखंड के किसानों की यह कैसी मजबूरी, फसलों को करना पड़ रहा है नष्ट

Jharkhand Farmers Destroyed Crops: झारखंड में सब्जियों के बंपर पैदावर के बाद भी किसान परेशान हैं. प्रदेश के किसान 4 रुपये किलो गोभी-टमाटर बेचने को मजबूर हैं.

Jharkhand Farmers Destroyed Crops: झारखंड में सब्जियों के बंपर पैदावर के बाद भी किसान परेशान हैं. प्रदेश के किसान 4 रुपये किलो गोभी-टमाटर बेचने को मजबूर हैं.

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Vineeta Kumari
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jharkhand farmers Photograph: (न्यूज़ नेशन)

Jharkhand Farmers Destroyed Crops: हर किसान चाहता है कि उसकी फसल की बंपर पैदावर हो, लेकिन कभी-कभी फसलों की बंपर पैदावर भी सिरदर्द का कारण बन जाती है. कुछ ऐसा ही हो रहा है, झारखंड के किसानों के साथ. फसलों की अच्छी पैदावर के बाद भी प्रदेश के किसानों के चेहरे पर मायूसी है और वह खुद ही अपने फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. सुनकर थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है, लेकिन यह सच है.

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झारखंड के किसान परेशान

झारखंड में इस साल मौसमी सब्जियों की पैदावर जबरदस्त हुई है. जिसकी वजह से किसानों को अपनी सब्जियों को कम दामों में बेचना पड़ रहा है. मौसमी सब्जियों की बंपर पैदावर की वजह से अब किसानों के लिए अपना लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. राजधानी रांची में भी किसान 5-10 रुपये में सब्जियां बेचने को मजबूर है. 

सब्जियों को नष्ट करते नजर आ रहे किसान

अगर राजधानी में इतने सस्ते दामों पर सब्जियां बिक रही है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जियों की क्या कीमत मिल रही होगी. हालत ऐसी हो गई है कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. परेशान होकर किसान खुद ही अपनी फसलों को नष्ट कर रहे हैं.

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4 रुपये किलो गोभी-टमाटर बेचने को मजबूर

रामगढ़, रांची, बोकारो के किसान खुद ही अपनी फसलों पर ट्रैक्टर चलाकर इस रौंद रहे हैं. यह किसानों की सरकार के प्रति नाराजगी है कि उनके लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. किसी वजह से फसल ना उपजे तो भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है और बंपर उत्पादन के बाद भी झारखंड के किसान अपनी खेती की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. किसानों में मायूसी देखी जा रही है. 

क्या करें प्रदेश के किसान!

मौसमी सब्जियां फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर 4 रुपये किलो बाजार में बिक रही है. किसानों की मानें तो सब्जियों को खेत से उठाकर मंडी तक ले जाने में भी उससे ज्यादा की लागत आ रही है, लेकिन सब्जियों की अत्यधिक पैदावर की वजह से उन्हें मजबूरी में आकर 4-5 रुपये किलो की दर से बेचना पड़ रहा है. जिससे उन्हें और घाटा हो रहा है. इस वजह से निराश होकर अपनी सब्जियों को बर्बाद करने के लिए किसान मजबूर हैं. 

 

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