मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद फिरे दिन, पहले गोभी का पत्ता और भात खाकर गुजारा कर रहे थे
अपने गृह जिला दुमका में इस आदिवासी परिवार को गोभी का सूखा पत्ता और भात (उबला चावल) के साथ खाने की तस्वीर ट्विटर पर देख मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई थी.
Ranchi:
झारखंड के दुमका जिले में जरमुंडी के समलापुर गांव में रहने वाली आदिवासी परिवार की बच्ची और उसकी नानी चुडकी मुर्मू जो कलतक गोभी का पत्ता और भात खाकर गुजारा कर रही थीं, उसे अब न केवल राशन कार्ड मिल गया है, बल्कि ठंड से बचने के लिए दो कंबल और अन्य सरकारी सहायता भी मिलने की आस जग गई है. अपने गृह जिला दुमका में इस आदिवासी परिवार को गोभी का सूखा पत्ता और भात (उबला चावल) के साथ खाने की तस्वीर ट्विटर पर देख मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई थी.
एबोरिजिनल इंडिया संस्था ने भात के साथ गोभी का सूखा पत्ता खाते बच्ची की तस्वीर को ट्वीट कर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करवाया था. मुख्यमंत्री ने दुमका के उपायुक्त (डीसी) को ट्वीट कर कहा, "यह हमारे और पूरे दुमका जिला प्रशासन के लिए शर्म की बात है. हम पिछली सरकार की तरह नहीं हैं जो 11 लाख राशन कार्ड निरस्त कर उसे अपनी उपलब्धि बताएं."
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मुख्यमंत्री सोरेन ने डीसी को निर्देश दिया कि जल्द उस परिवार को सभी जरूरी सरकारी मदद पहुंचाते हुए सूचित करें. साथ ही ऐसे सभी परिवार को चिन्हित कर मदद पहुंचाएं. उल्लेखनीय है कि यह बच्ची जरमुंडी प्रखंड के भोडावाद पंचायत के समलापुर गांव की 70 वर्षीय बुजुर्ग चुडकी मुर्मू की नतिनी (बेटी की पुत्री) है. इस परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है. चुडकी मुर्मू की पुत्री परित्यक्ता है, जो अपनी बच्ची के साथ मायके में ही रहती है. एक साल से इस परिवार को राशन नहीं मिला था.
दुमका डीसी के ट्विटर हैंडल से मुख्यमंत्री के ट्वीट के जवाब में 26 फरवरी ट्वीट कर लिखा, "आपके निर्देश के आलोक में प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, जरमुंडी द्वारा उक्त परिवार को राशन कार्ड सहित राशन भी उपलब्ध करवा दिया गया है."
इधर, दुमका के प्रभारी डी.सी. शेखर जमुआर ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "चुडकी मुर्मू को तत्काल राशन कार्ड उपलब्ध करवा दिया गया है. इसके अलावा भी उसे सभी सरकारी सहायता पहुंचाने के लिए दुमका जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है. जमुआर ने कहा कि उसे चिकित्सकीय जांच भी करवाया गया है तथा ठंड से बचने के लिए कंबल भी दिया गया है."
उन्होंने बताया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है, इन्हें नियम के अनुकूल सरकारी सुविधाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की सत्ता में आने के बाद ट्विटर पर सक्रिय हैं और ट्विटर पर समस्या के मिलने के बाद ट्वीट कर ही संबंधित पदाधिकारियों को समस्या के समाधान का निर्देश दे रहे हैं. हालांकि विपक्ष, इसे लेकर हेमंत सरकार की आलोचना भी कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि पूरी सरकार ट्विटर पर चल रही है.
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