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शिक्षकों को IIM जैसे संस्थान दे रहें प्रशिक्षण, गरीब बच्चों के सपनों को भी अब मिलेगी उड़ान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक ऐसा निर्देश दिया है जिससे यहां की शिक्षा की रुपरेखा ही बदल जाएगी. शिक्षकों को चेंजमेकर के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है. शिक्षकों को आईआईएम जैसे संस्थान भी प्रशिक्षण दे रहे हैं.

Updated on: 27 Oct 2022, 06:58 PM

highlights

. शिक्षा की  बदलेगी रुपरेखा 
. 10 माह को होगा प्रशिक्षण
. बच्चों को मिलेगा फायदा

Ranchi:

झारखंड सरकार अब शिक्षा को लेकर सचेत होते नजर आ रही है. लेकिन बात जब सरकारी स्कूलों की आती है तो कोई भी बच्चा यहां पढ़ना नहीं चाहता है क्योंकि सभी को पता है की यहां किस तरह की पढ़ाई होती है. कभी शिक्षक स्कूल नहीं आते तो कभी शिक्षक को पता ही नहीं होता है कि पढ़ना क्या है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री  हेमंत सोरेन ने एक ऐसा निर्देश दिया है जिससे यहां की शिक्षा की रुपरेखा ही बदल जाएगी. शिक्षकों को चेंजमेकर के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है. 

शिक्षकों को चेंजमेकर के रूप में किया प्रस्तुत

सरकारी स्कूल के बच्चों को निजी स्कूल के तर्ज पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिसके लिए राज्य के आदर्श विद्यालय कार्यक्रम में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. सरकार ने इन स्कूलों के शिक्षकों को चेंजमेकर के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इसके लिए मॉडल स्कूल में पढ़ाने वाले प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को अजीम प्रेमजी फाउंडेशन भी प्रशिक्षण प्रदान दे रहा है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम चरण में विशेष तौर पर अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय पर ध्यान दिया जा रहा है. बता दें कि, मॉडल स्कूल के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को आईआईएम जैसे संस्थान भी प्रशिक्षण दे रहे हैं. 

10 माह तक दिया जाएगा प्रशिक्षण

इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के करीब चार हजार मॉडल स्कूलों के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कार्यशालाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. प्रशिक्षण के पहले चरण में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने चेंजमेकर के रूप में चिन्हित 80 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ 10 महीने के प्रशिक्षण की रूपरेखा के तहत स्कूल के लिए बेहतर विजन विकसित करना, स्कूल में गुणवत्ता में सुधार, समेत अन्य प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. 

क्षमता विकसित करने का होगा काम 

10 माह के प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं की योजना बनाई गई है. इसके जरिये माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर यानि नौवीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की विषय विशेषज्ञता की पहचान की जायेगी. 150 डाइट संकायों के लिए व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें डाइट्स के विज़ुअलाइज़ेशन और कार्य के विवरण को शामिल किया जायेगा. इस योजना के तहत प्रत्येक 5 दिनों में कुल तीन कार्यशालाएं आयोजित होंगी. जहां अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और विज्ञान के 200 विषय विशिष्ट मास्टर प्रशिक्षकों की क्षमता विकसित करने का कार्य होगा.

बच्चों को इसे होगा फायदा

इस प्रशिक्षण के बाद बाद उम्मीद लगाई जा सकती है कि अब राज्य में बच्चे सरकारी स्कूल पर भरोसा जताएंगे. हालांकि ये इतना आसान भी नहीं होगा क्योंकि जिस तरीके से स्कूलों में शिक्षकों का हाल है. उसे सुधारने में लंबा वक़्त लगेगा लेकिन ये एक अच्छी शुरुआत साबित हो सकती है. आईआईएम जैसे संस्थान भी प्रशिक्षण दे रहे हैं तो ऐसे में कही ना कही बच्चों को इसे फायदा जरूर होगा.