Bihar Flood Alert: हिमाचल के बाद कहीं बिहार की बारी तो नहीं, उफान पर है गंगा नदी, बाढ़ का अलर्ट जारी
जम्मू कश्मीर: किश्तवाड़ में दूसरे दिन भी मुठभेड़ जारी, रुक-रुक कर हो रही गोलीबारी
IND vs ENG 2nd Test: रवि शास्त्री ने गौतम गंभीर पर साधा निशाना, भारतीय हेड कोच के इस फैसले पर उठाए सवाल
24 घंटे में फिर बैन हुए पाकिस्तानी सेलेब्स के अकाउंट्स, इन दो स्टार्स की प्रोफाइल अभी भी दिख रही
IND vs ENG 2nd Test: पहले सचिन, फिर कोहली और अब शुभमन गिल, केवल 3 खिलाड़ी ही कर पाए हैं ये बड़ा कारनामा
राहत का दूसरा नाम ‘हरसिंगार’, एक-दो नहीं अनेक समस्याओं की करता है छुट्टी
टैरिफ समय सीमा से पहले अंतरिम भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर पहुंचने के लिए गहन वार्ता जारी
अक्षय ओबेरॉय की जिंदगी में खास मायने रखता है 'बास्केटबॉल', बताई वजह
घाना में पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान, जेपी नड्डा ने दी बधाई

पाकुड़: ग्रामीणों को राशन तो मिल गया, लेकिन पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर

Water Crisis: भले ही सरकार गांव-गांव में विकास यात्रा निकालकर ग्रामीण विकास के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत ग्रामीण विकास के दावों की पोल खोल रही है.

Water Crisis: भले ही सरकार गांव-गांव में विकास यात्रा निकालकर ग्रामीण विकास के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत ग्रामीण विकास के दावों की पोल खोल रही है.

author-image
Vineeta Kumari
New Update
pakur news

पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

भले ही सरकार गांव-गांव में विकास यात्रा निकालकर ग्रामीण विकास के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत ग्रामीण विकास के दावों की पोल खोल रही है. गांव के सैकड़ों ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. यहां के लोग सालों से झरने का गंदा पानी पीकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों की सुध कोई नहीं ले रहा है. सिर पर पानी से भरे बर्तन का बोझ तो उठा ले, लेकिन कंधे पर शासन-प्रशासन के झूठे वादों और खोखले दावों का बोझ यहां के ग्रामीणों के लिए उठाना मुश्किल हो गया है. राज्य को बने हुए 2 दशक से ज्यादा का समय हो चुका है. कई सरकारें आई और गई, लेकिन आदिम जनजाति की हालत आज भी वैसी ही है. जैसे दशकों पहले थी. विकास की मुख्यधारा से जुड़ना तो दूर आदिम जनजाति पानी सुविधाओं से भी वंचित है. 

Advertisment

यह भी पढ़ें- संथाल परगना में चल रहा लैंड जिहाद का खेल, HC ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

गांव में पानी के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण

कुछ ऐसा ही नजारा है, पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड के सहारग्राम पंचायत के कालूपड़ा के पहाड़ियों पर रहने वाले ग्रामीणों का. झारखंड सरकार की ओर से संरक्षित ये आदिम जनजाती समुदाय झरने का गंदा पानी-पीने को मजबूर है. पानी की किल्लत ग्रामीणों के सिरदर्द का कारण बन गई है. आपको बता दें कि कालूपहाड़ के ग्रामीण अपने जान को जोखिम में डाल कर गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर जंगल स्थित पानी लाने को मजबूर है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इस संबंध में राज्य सरकार जब जनता दरबार लगाया था. उस समय भी लिखित शिकायत दी गई थी.

ग्रामीण दूषित पानी पीने के लिए बेबस

इसके आलवे भी महेशपुर बीडीओ उमेश मंडल के कार्यकाल में जाकर भी पानी की समस्या को निजात पाने के लिए आवेदन दिए, लेकिन महेशपुर बीडीओ के द्वारा कोई पहल नहीं की गई. आज भी ग्रामीण झरने का दूषित पानी पीने के लिए बेबस है. जहां पाकुड़ उपयुक्त वरुण रंजन ने कहा था कि जहां स्वच्छ पानी नहीं मिल सकता, वहां पर टंकी के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा. कई गांव में पानी की समस्या है, लेकिन आज तक पानी की टंकी नहीं पहुंच पाई है.

HIGHLIGHTS

  • ग्रामीणों को राशन तो मिल गया
  • पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर
  • दूषित पानी पी रहे ग्रामीण

Source : News State Bihar Jharkhand

hindi news water crisis jharkhand latest news pakur news Jharkhand news update
      
Advertisment