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बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण, नाले से बुझा रहे प्यास

गुमला जिला मुख्यालय से 60 किमी की दूरी पर स्तिथ देव गांव पवित्र स्थल लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. यह स्थल कई तरह की ऐतिहासिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है.

Updated on: 14 Sep 2022, 12:10 PM

Pakur:

गुमला जिला मुख्यालय से 60 किमी की दूरी पर स्तिथ देव गांव पवित्र स्थल लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. यह स्थल कई तरह की ऐतिहासिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है. हालांकि आज तक इसका सही रूप से विकास नहीं होने की वजह से अधिक संख्या में लोग यहां नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे तो गुमला जिला में काफी धार्मिक ऐतिहासिक स्थल है, जो अपने आप मे अलग महत्व रखता है. उन्हीं में से एक है पालकोट प्रखंड के देवगांव, जो जिला मुख्यालय से 60 किमी की दूरी पर स्थित है. इस स्थल की अपनी धार्मिक मान्यता रही है. ऐसी मान्यता है कि नाग वंशी राजाओं द्वारा यहां पर देवी-देवताओं को स्थापित किया गया है. स्थानीय जानकर हरिओम सुधांशु की माने तो नाग वंशी राजाओं की राजधानी के रूप में यह इलाका चर्चित रहा है. नागवंशी राजाओं द्वारा ही एक गुफा के अंदर कई देवी-देवताओं को स्थापित किया गया, जिसके कई प्राचीन मूर्ति और प्रतिमाएं आज भी मौजूद हैं, जो लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है.

वहीं इस स्थल के विकास को लेकर पर्यटन विभाग से कई बार मांग की गई, लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हुआ है. जिसकी वजह से आज भी इस स्थल को वह पहचान नहीं मिल पायी है, जिसका यह पूरा अधिकार रखता है. स्थानिय लोगों ने कहा है कि गुमला जिला का यह देवगांव केवल उन्हीं लोगों द्वारा देखा गया है, जिनको स्थानीय लोगों ने बताया है. अगर सही रूप से इसका विकास हो जाये तो काफी दूरदराज से लोग इस स्थल को देखने के लिए आएंगे क्योंकि यहां कोई मानव निर्मित मंदिर नहीं है, बल्कि जो भी है वह प्रकृति द्वारा निर्मित है. 

झारखण्ड का दुर्भाग्य रहा है कि अब तक यहां बनी सरकारों ने केवल झारखंड की खनिज संपदा पर ही ध्यान दिया है. अगर यहां मौजूद पर्यटन स्थल खासकर ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को विकसित किया गया होता तो ना केवल देश के विभिन्न राज्यों से बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों का यहां आना होता.