ग्रामीणों का प्यास बुझे इसलिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल विभाग की ओर से जल शोध संस्थान का निर्माण करवाती है, इसके लिए बकायदा समय सीमा भी तय की जाती है, लेकिन धनबाद के फेज टू में चल रहे जल शोध संस्थान का काम धीमा है और धीमा इसलिए है क्योंकि इस संस्थान में काम कम मदिरापान ज्यादा होती है. बिल्डिंग परिसर में पानी की बोतलों से ज्यादा शराब की बोतले हैं. जो यह बताने के लिए काफी है कि यहां जब मन करें तब कांट्रेक्टरों की टीम का जाम पे जाम छलकते और गिलास टकराए जाते है.
काम कम शराब का सेवन ज्यादा कर रही टीम
वर्षों पुराना मोहम्मद रफी साहब का गाना तो आपने सुना ही होगा "नशा शराब में होता तो नाचती बोतल " अब जरा इस गाने को सुनने के बाद इस तस्वीरों को देखिए यह पूरी बिल्डिंग और पूरा परिसर पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल विभाग का है. जिसमें जल शोध संस्थान का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन इस परिसर में कांट्रेक्टर साहब की टीम काम कम शराब का सेवन ज्यादा कर रही हैं. यह हम नहीं बल्कि यह तस्वीरें बयां कर रही है कि बिल्डिंग के परिसर में कई सारी शराब की बोतले दिखाई दे रही हैं.
ग्रामीणों ने 15 दिन का दिया समय
इस जल शोध संस्थान के भरोसे आसपास के 26 गांव हैं. जिनको पानी मिलना था, लेकिन कार्य में कोताही बरतने के कारण आज यहां के ग्रामीण प्यासी है. बढ़ते भीषण गर्मी में प्यास को देखते हुए ग्रामीणों ने बलियापुर प्रखंड के कुसमाटांड पंचायत भवन के समीप फेज टू के तहत बनाए गए, जल शोध संस्थान में जाकर जमकर हंगामा किया और कॉन्ट्रेक्टरों की लापरवाही पर जमकर फटकार भी लगाई. जिसके बाद ग्रामीणों ने 15 दिन का समय देकर कंपनी को जल्द से जल्द काम पूरा करने का चेतावनी दी है.
रिपोर्ट - नीरज कुमार
HIGHLIGHTS
- काम कम शराब का सेवन ज्यादा कर रही टीम
- ग्रामीणों ने कॉन्ट्रेक्टरों की लापरवाही पर जमकर लगाई फटकार
- ग्रामीणों ने कॉन्ट्रेक्टरों को 15 दिन का दिया समय
Source : News State Bihar Jharkhand