IIT धनबाद के छात्रों का कमाल, दिव्यांग और लकवाग्रस्त मरीजों के लिए बनाई खास डिवाइस
एक बार फिर धनबाद IIT ISM का डंका बज गया है. दरअसल यहां के छात्रों ने एक ऐसा आविष्कार कर दिया है, जो आने वाले समय में दिव्यांग और लकवाग्रस्त मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा.
highlights
- IIT धनबाद के छात्रों का कमाल
- छात्रों ने बनाई गजब का डिवाइस
- 'मन की बात' जानने वाला अनोखा बेड
- लकवाग्रस्त मरीजों के लिए साबित होगा वरदान
Dhanbad:
एक बार फिर धनबाद IIT ISM का डंका बज गया है. दरअसल यहां के छात्रों ने एक ऐसा आविष्कार कर दिया है, जो आने वाले समय में दिव्यांग और लकवाग्रस्त मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा. यहां के छात्रों ने एक डिवाइस बनाई है जो आपके मन की बात जान लेगा. एक डिवाइस जो बेड पर लेटे मरीज की जरूरत को भांप लेगा. एक डिवाइस जो बिना कुछ कहे आपका काम कर देगा. ये किसी साइंस फिक्शन फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं बल्कि हकीकत है और इसको सच करने का कमाल कर दिखाया है IIT, ISM धनबाद के छात्रों ने.
'मन की बात' जानने वाला अनोखा बेड
धनबाद IIT के छात्रों का लोहा पूरा विश्व मानता है और एक बार फिर यहां छात्रों के आविष्कार ने लोगों को हैरान कर दिया है. दरअसल IIT ISM के असिस्टेंट प्रोफेसर जफर आलम और उसकी टीम ने गंभीर अवस्था में बेड पर पड़े वैसे मरीजों जिसका दिमाग तो काम कर रहा है, लेकिन शरीर काम नहीं कर रहा है. उनकी देखभाल के लिए एक ऐसा डिवाइस बनाया है जो मरीज के दिमाग में क्या चल रहा है ये जान सकेगा. यहां सबसे खास बात ये है कि ये डिवाइस एक बेड है. जिसे न्यूरो हेडसेट लगाकर मरीज खुद कंट्रोल कर सकेंगे और ये मशीन उसके हिसाब से ही काम कर सकेगी.
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लकवाग्रस्त मरीजों के लिए साबित होगा वरदान
असिस्टेंट प्रोफेसर जफर आलम को ये बेड बनाने का आइडिया एक फिल्म को देखकर आया. जिसमें एक किरदार चल फिर नहीं सकता है. ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना ऐसा उपकरण बनाए जो लाचार मरीजों और दिव्यांगों की जरूरतों को भांप सके और ऐसे आविष्कार हुआ इस अनोखे बेड का. दरअसल हमारा पूरा शरीर ब्रेन सिग्नल्स के जरिए काम करता है. हम कुछ भी सोचते हैं तो हमारा दिमाग एक सिग्नल देता है. जब न्यूरो हेडसेट डिवाइस को मरीज के दिमाग पर लगाएंगे तो वो सिग्नस्ल कैच करेगा. फिर न्यूरो हेडसेट उन सिग्नल्स को कंप्यूटर में डालकर ट्रैक करेगा. सिग्नल्स कैच करने के बाद बेड उसी के हिसाब से काम करेगा.
बेशक ये बेड आने वाले समय में लकवाग्रस्त मरीजों के वरदान साबित होगा. इसके साथ ही इस मशीन के जरिए अस्पताल और कर्मचारियों का खर्च भी बचेगा. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 9 महीने का समय लगा हैं और उम्मीद है कि जल्द मरीजों को इसका लाभ मिल पाएगा. जफर आलम की टीम ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन दिया गया है वो भरोसा है कि उन्हें इसका पेटेंट मिल जाएगा.
रिपोर्ट : नीरज कुमार
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