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हेमंत सरकार का ऐतिहासिक फैसला, 1932 के खतियान पर स्थानीय नीति बनाने का ऐलान

1932 खतियान लागू करने को लेकर झारखंड की सोरेन कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद पूरे प्रदेश में जश्न का माहौल है.

Updated on: 15 Sep 2022, 12:26 PM

Ranchi:

1932 खतियान लागू करने को लेकर झारखंड की सोरेन कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद पूरे प्रदेश में जश्न का माहौल है. इस फैसले को हेमंत सोरेन का ऐतिहासिक फैसला बताया जा रहा है. लोग खुशी में आतिशबाजी कर रहे हैं तो कोई मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी जाहिर कर रहा है. जगह-जगह लोग अपने अंदाज़ में एक दूसरे को मुबारकबाद देकर खुशी का इज़हार कर रहे हैं. आपको बता दें कि लंबे समय से इसकी मांग चली आ रही थी.

खतियान आधारित नीति लागू होने पर धनबाद में भी जश्न का माहौल है. जामाडोभा दो नम्बर, भौरा समेत कई जगहों पर लोगों ने जमकर जश्न मनाया. इस दौरान लोगों ने आतिशबाजी की और आपस में एक दूसरे को मुबारकबाद पेश की. साथ ही इस फैसले को लोगो ने हेमंत सोरेन का ऐतिहासिक बताया.

वहीं, बोकारों की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही नज़र आई. सीएम हेमंत सोरेन की कैबिनेट के 1932 खातियान लागू होने के बाद लोगों में जश्न का माहौल है. 1932  खतियान और 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण कैबिनेट में पास होने के बाद लोग जश्न मना रहे हैं. इस मौके पर कोई पटाखे फोड़ता नज़र आया तो कोई मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इज़हार किया. साथ ही शिक्षा मंत्री के समर्थन में ज़िंदाबाद के नारे भी लगे.

क्या है 1932 का खतियान?
देश में 1831 से 1833 के बीच कोल विद्रोह हुआ
विद्रोह के बाद विल्किंस रूल लाया गया
नियम के तहत कोल्हान की भूमि आदिवासियों के लिए सुरक्षित कर दी गई
कोल्हान का प्रशासनिक कार्यभार मुंडा और मानकी देखेंगे
1909 में बिरसा मुंडा के आंदोलन के बाद CNT एक्ट बना
आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों के पास जाने के लिए नियम बनाए गए
1913 से 1918 के बीच कोल्हान क्षेत्र का लैंड सर्वे किया गया
इसी सर्वे के जरिए आदिवासियों को जंगल पर हक दिया गया

खतियान को लेकर क्यों है विवाद?
खतियान के तहत राज्य के मूलनिवासियों को प्राथमिकता दी गई है.
अगर नीति लागू होती है कि दूसरे राज्य से आए लोग बाहरी माने जाएंगे.
कोयले के चलते झारखंड में अलग-अलग राज्यों के लोग रहते हैं.
नीति लागू हुई तो सभी बाहरी लोग सरकारी योजनाओं से वंचित हो जाएंगे.