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लातेहार सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधा चरमराई, प्रबंधक पर उठे सवाल

सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. बावजूद लातेहार सदर अस्पताल प्रबंधक की मनमानी या यूं कहें कि लापरवाही के कारण स्वास्थ्य सुविधा दिन प्रतिदिन बदहाल होती नजर आ रही है.

Updated on: 11 Jul 2023, 01:58 PM

highlights

  • सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधा चरमराई 
  • अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रहा
  • अस्पताल की बदहाली की लंबी फेहरिस्त

Latehar:

लातेहार जिले में एकमात्र सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधा चरमराई हुई है. सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. बावजूद लातेहार सदर अस्पताल प्रबंधक की मनमानी या यूं कहें कि लापरवाही के कारण स्वास्थ्य सुविधा दिन प्रतिदिन बदहाल होती नजर आ रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि सरकार के द्वारा स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए मिलने वाली राशि का अस्पताल की सुविधा पर खर्च ना करके उसका बंदरबाट कर लेना है. दरअसल, लातेहार सदर अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सुविधा से हर कोई वाकिफ़ है. यहां इलाज कराने आने वाला हर दूसरा मरीज़ अस्पताल की सुविधाओं को देखने के बाद उससे नाराज होकर अस्पताल प्रबंधक को जमकर कोसते हैं. 

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सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधा चरमराई 

बावजूद अस्पताल प्रबंधन को खुद की लापरवाही का जरा भी इल्म नहीं है. दरअसल, सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन मौजूद तो है, लेकिन विगत लंबे समय से अस्पताल में धूल फांक रही है. जिले के सुदूरवर्ती इलाकों से दर्द से कराहती गर्भवती महिला डॉक्टर के भरोसे सदर अस्पताल इलाज के लिए पहुंचती है, लेकिन यहां इलाज नहीं होने और सदर अस्पताल की व्यवस्था देखने के बाद उनका दर्द दोगुना हो जाता है. न्यूज़ स्टेट की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि अल्ट्रासाउंड मशीन लगभग 2 साल से भी ज्यादा वक्त से अस्पताल में बेकार पड़ा हुआ है. मतलब अस्पताल प्रबंधक उसे अबतक उपयोग में नहीं ला सका है. 

अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रहा 

अब जरा आप सोचिए एक मात्र सदर अस्पताल जिसके ऊपर लातेहार जिलेभर के बीमार मरीजों का इलाज करने का जिम्मा उसके मत्थे हो. वहां अल्ट्रासाउंड जैसी महत्वपूर्ण उपकरण 2 साल बाद भी शुरू नहीं हो सका है. वहां मरीजों का इलाज कितना होता होगा. इसका अंदाज़ा लगाना कोई बड़ा मुश्किल काम नही है. दर्दनाक से तड़पती, बिलखती गर्भवती महिलाओं को मजबूरन इलाज के लिए निजी अस्पताल का रुख करना पड़ता है, लेकिन उन निजी और महंगे अस्पतालों में रसूखदार ही इलाज करवा सकते हैं. जिस मरीज़ की आर्थिक स्थिति खराब है और वह निजी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए सक्षम नहीं है. उनकी सांसे भगवान भरोसे ही चलती है, लेकिन इतनी बड़ी समस्या होते हुए भी अस्पताल प्रबंधक को कोई फर्क नहीं पड़ता है. यही कारण है कि 2 साल से अधिक वक्त से अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रहा है, लेकिन स्वास्थ्य प्रबंधक अल्ट्रासाउंड मशीन शुरू करने की जगह तमाशबीन बना हुआ है.

अस्पताल की बदहाली की लंबी फेहरिस्त

बदहाल एकमात्र सदर अस्पताल की खामियां यही खत्म नहीं होती है, बल्कि सदर अस्पताल की बदहाली की लंबी फेहरिस्त है. दरअसल, लातेहार वासियों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये की लागत से ब्लड बैंक का उद्घाटन किया गया था, लेकिन ब्लड बैंक का हाल-बेहाल है. ब्लड बैंक से मरीजों को एक यूनिट भी ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाता है. गर्भवती महिलाओं के परिजनों को ब्लड के लिए दो-चार होना. आम बात है, लेकिन ब्लड बैंक इसके लिए आपकी कोई मदद नही कर सकता है.

ब्लड बैंक में खून की कमी

इधर अस्पताल के कर्मचारी मैन पावर की कमी बताकर परिजनों को ब्लड के लिए टालते रहते हैं. अस्पताल प्रबंधक अल्ट्रासाउंड और ब्लड बैंक के लिए उपकरण तो मुहैया करा चुका है, लेकिन ऑपरेट करने वाले डॉक्टर व कर्मचारी के नहीं होने की वजह से तमाम उपकरण अस्पताल में मात्र शोभा की वस्तु बनकर पड़ी हुई है. यह अलग बात है कि ब्लड बैंक में रक्त आपको ना मिल पाए, लेकिन वहां मंहगे सौफे और एसी की शानदार सुविधा मुहैया है. वो इसलिए चुकी उगाही के लिए कोई तो रास्ता विभाग के भ्रष्ट कर्मियों को निकालना ही होगा. स्थानीय युवक का आरोप है कि सदर अस्पताल में छोटी-छोटी बीमारियों और जख्म के लिए भी दवाइयां नहीं मिलती है. लिहाज़ा मरीज़ बाहरी मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदते हैं. कुल मिलाकर कहे तो सदर अस्पताल खुद बीमार है. अस्पताल को ही इलाज की आवश्कता है.