झारखंड : 68 वर्षों से आयोजित हो रहे गोपाष्टमी मेले पर इस बार लगा विराम
गोपाष्टमी मेला छठ समाप्ति के अगले दिन गौ पूजन के साथ शुरू होकर पांच दिनों तक चलता था.
Ranchi/Kodarma:
श्री कोडरमा गौशाला समिति द्वारा आयोजित गोपाष्टमी मेला जो विगत 68 वर्षों से चला आ रहा था उस पर ग्रहण लग गया है. गोपाष्टमी मेला छठ समाप्ति के अगले दिन गौ पूजन के साथ शुरू होकर पांच दिनों तक चलता था. समिति के अध्यक्ष सुरेश जैन की मानें तो गौशाला समिति पिछले कई महीनों से आर्थिक तंगी से जूझ रही है, जिस वजह से इस बार मेला में होने वाले खर्च को बचा कर गौ वंशो के चारा की व्यवस्था की जाएगी. जबकि परिस्थितियां कुछ और ही कहती हैं.
ज्ञात हो कि गोपाष्टमी मेला को लेकर सामाजिक लोगों से सहयोग के रूप में धनराशि संग्रह किया जाता है, जिससे मेला का आयोजन होता है. यहां तक कि संग्रह की गई राशी से मेला हेतु खर्च करने के बाद बची हुई धनराशि समिति के सुपुर्द कर दिया जाता है ताकि गौशाला में रह रहे गौवंशो के लिए चारा की व्यवस्था की जा सके.
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समिति के कार्यकारिणी के द्वारा गोपाष्टमी मेला हेतु प्रत्येक वर्ष मेला मंत्री का चयन किया जाता है ताकि मेला को सुचारू रूप से चलाया जा सके. सबसे दुखद यह है कि इस बार समिति के अध्यक्ष के आदेशानुसार गोपाष्टमी मेला को स्थगित कर दिया गया है. समिति के कई सदस्यों ने अध्यक्ष सुरेश जैन पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिना किसी जानकारी के मेला को रद्द कर दिया गया है. साथ ही कहा कि गौशाला समिति के खाते में लाखों रुपया जमा है फिर भी राशी के अभाव को ले कर रोना सही नहीं है.
बैठक को लेकर समिति के सदस्यों में नहीं दिखता उत्साह
श्री कोडरमा गौशाला कार्यकारिणी समिति में कुल 42 सदस्य हैं. बैठक में किसी भी निर्णय को पारित करने हेतु कम से कम 14 सदस्यों का बैठक में उपस्थित होना अनिवार्य है. लेकिन दुर्भाग्य है कि पिछले महीने गोपाष्टमी मेले के आयोजन को लेकर हुई बैठक में सदस्यों की अनिवार्य उपस्थिति नहीं होने की वजह से मेला सम्बंधित निर्णय नहीं लिया जा सका.
गौवंशो के चारा के लिए नहीं है कोई स्थाई व्यवस्था
कोडरमा गौशाला समिति का गठन 1950 ई. में हुआ था. 69 वर्ष हो जाने के बाद भी आज तक गौशाला में रह रहे गौवंशो के लिए कोई स्थाई व्यवस्था नहीं हो सकी है. लोगों की मानें तो गौशाला के पास अपनी जमीन होते हुए भी आज तक गौ वंशो के लिए चारा की व्यवस्था स्थायी रूप से न होना समझ से परे है. इसका एक कारण समिति के सदस्यों में मतभेद होना भी है. याद रहे कि विगत कई वर्षों से गौशाला समिति के सदस्यों का चुनाव नहीं हुआ है. कारण चाहे जो भी हो, नुकसान तो गौशाला को ही है. ज्ञात हो कि गौशाला समिति के पदेन अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी होते हैं.
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