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गढ़वा: भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था, एक भी नहीं है प्रधानाध्यापक

मनुष्य के जीवन में जितना महत्व रोटी, कपड़ा और मकान का है, उतना ही महत्व शिक्षा का भी है. शिक्षा किसी भी इंसान और देश की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन आज भी कई स्कूल में पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है.

Updated on: 15 Mar 2023, 02:07 PM

highlights

  • जिले में एक भी नहीं है प्रधानाध्यापक
  • भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था
  • शिक्षकों को समय पर नहीं मिला रहा वेतन

Garhwa:

मनुष्य के जीवन में जितना महत्व रोटी, कपड़ा और मकान का है, उतना ही महत्व शिक्षा का भी है. शिक्षा किसी भी इंसान और देश की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन आज भी कई स्कूल में पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है. बच्चे जहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते हैं, जब वहां शिक्षकों की ही कमी हो तो फिर उनका भविष्य कैसा होगा, ये आप सोच सकते हैं. झारखंड के गढ़वा जिले की हालत कुछ ऐसी है कि यहां एक भी प्रधानाध्यापक नहीं है. गढ़वा जिले के शिक्षा विभाग की हालात क्या है, इसकी बानगी देखने को मिल रही है. जिले के 107 उच्च विद्यालयों में एक भी प्रधानाध्यापक नहीं है.

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एक भी नहीं है प्रधानाध्यापक

सभी विद्यालय प्रभार के भरोसे चल रहा है. कर्मियों की कमी का असर शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है. जिले के 107 उच्च मध्य विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय में निकासी और व्ययवन पदाधिकारी के कमी के कारण शिक्षकों को वेतन भी समय पर नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते शिक्षक भी काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, जिसका असर बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर देखने को मिल रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी उच्च विद्यालयों और मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को झेलनी पड़ रही है.

भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था

जिलों मे उच्च विद्यालयों के प्रधानाध्यापक को ही डीडीओ का प्रभार दिया जाता है, लेकिन एक भी प्रधानाध्यापक नहीं होने की वजह से यह अधिकार अभी सिर्फ डीईओ के पास है. दूर-दूर के शिक्षकों को यह परेशानी झेलनी पडती है. जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी अभी बोकारो में भी क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी के रूप मे कार्यरत है. वह यहां प्रभार में चल रही है, जिसके चलते उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी अनीता पूर्ति ने कहा कि जिले में एक भी प्रधानाध्यापक नहीं होने की वजह से अभी दस लोगों को डीडीओ का प्रभार दिया गया है. बाकि जो भी दिक्क़त होती है, हम उसका निष्पादन करते हैं.