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हौसलों की उड़ान: अनपढ़ मां के 5 बच्चे बने डॉक्टर-इंजीनियर, जानिए सफलता की कहानी

अगर हौसला हो तो जीवन में रोशनी भरने का भी काम किया जा सकता है. ऐसा ही कर दिखाया है बोकारो के रिटायर्ड बीएसएल कर्मी जगदीश साह और उनकी पत्नी मीना देवी ने.

Updated on: 10 Mar 2023, 02:08 PM

highlights

  • अनपढ़ मां के बच्चे बने डॉक्टर-इंजीनियर
  • बच्चों ने मां को दिया पूरा श्रेय
  • हौसले की उड़ान की कहानी

 

 

Bokaro:

अशिक्षा और गरीबी को कभी जीवन के लिए कलंक माना जाता था, लेकिन अगर हौसला हो तो इस कलंक को दूर कर जीवन में रोशनी भरने का भी काम किया जा सकता है. ऐसा ही कर दिखाया है बोकारो के रिटायर्ड बीएसएल कर्मी जगदीश साह और उनकी पत्नी मीना देवी ने. कम वेतन और पत्नी के अशिक्षित रहने के बाद भी आज उन्होंने अपने हौसले और इच्छाशक्ति से दो बेटों और तीन बेटियों में से 3 को चिकित्सक और 2 को इंजीनियर बनाया है. जिसमें आईआईटियन भी शामिल है. बच्चे इसका पूरा श्रेय अपनी मां मीना देवी को देते हैं. बच्चों का कहना है कि मां ने पढ़ी-लिखी नहीं होने के बाद भी इस तरह से हम लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके साथ ही पढ़ाई की पूरी प्लानिंग ऐसी की कि आज हम लोग सभी अपने पैरों पर खड़े हैं. 

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अशिक्षित मां के 3 बच्चे डॉक्टर तो दो इंजीनियर

बेटा-बेटी का कहना है कि हमें कभी नहीं लगा कि मां हमारी पढ़ी-लिखी नहीं, क्योंकि इनका दिमाग पढ़े-लिखे लोगों से अधिक चलता है. चौथी पास होने के बाद भी वह बेहतर तरीके से सभी का हौसला बढ़ाने का काम करती रही. जगदीश शाह मूलत बिहार के भोजपुर जिले के सहार ब्लाक के अंधारी गांव के रहने वाले अपने पिता के इकलौते पुत्र थे. उन्होंने 18 अप्रैल 1985 को बोकारो स्टील में नौकरी की शुरुआत की, जब उन्होंने नौकरी शुरू कर ट्रेनिंग कर रहे थे, तो उन्हें 1100 रुपये मिल रहे थे.

बच्चों ने मां को दिया सफलता का श्रेय

वर्ष 1986, अक्टूबर में उन्हें ₹3000 मिलना शुरू हुआ. उसके बाद से ही अपने बाल बच्चों की भविष्य को तलाशने के लिए उन्होंने बचत करना शुरू किया. तंगी और मुफलिसी की जिंदगी जीकर उन्होंने किसान विकास पत्र खरीदना शुरू किया. यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहा. उसके बाद तीन बेटियां और दो बेटे हुए. बोकारो स्टील और प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. उसके बाद बड़े बेटे डॉ अविनाश कुमार ने एमबीबीएस- किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ ( २०३ रैंक ऑल इंडिया  मेडिकल) में ला कर एमबीबीएस किया. वर्तमान में एसोसियेट प्रोफेसर ऑर्थोपेडिक्स स्पाइन एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थरोस्कोपी सर्जन AIIMS PATNA ( भूतपूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर AIIMS RAIPUR) में कार्यरत है.

वरिष्ठ सुपुत्री डॉ इंदू कुमारी
प्राथमिक शिक्षा - बोकारो इस्पात विद्यालय और दिल्ली पब्लिक स्कूल से की.
वर्तमान में संस्थापक डायरेक्टर ऑल इंडिया स्किन एंड हेयर हॉस्पिटल AISHH शिवालिक रोड मालवीय नगर दिल्ली में कार्यरत हैं.

दूसरी सुपुत्री पूनम कुमारी 
प्राथमिक शिक्षा - बोकारो इस्पात विद्यालयऔर श्री अयप्पा स्कूल से की.
बीटेक बीआईटी सिंदरी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) से की.
वर्तमान में एमटेक आईआईटी हैदराबाद (GATE qualified) से कर रही हैं.

कनिष्ठ सुपुत्री डॉ कुमारी पूजा 
प्राथमिक शिक्षा - बोकारो इस्पात विद्यालय और चिन्माया विद्यालय से की.
एमबीबीएस- पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज धनबाद से की.
वर्तमान में पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी कर रही हैं.

सबसे छोटे बेटे अभिषेक कुमार वर्तमान में बीटेक प्लस एमटेक माइनिंग इंजीनियरिंग आईआईटी खड़गपुर से कर रहा है. जबकि बड़ी बहू डॉ अभिलाषा कुमारी है, जो वर्तमान में डीएम नवजात शिशु रोग किंग एडवर्ड मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मुंबई में कार्यरत हैं. बच्चों की सफलता और माता-पिता के संघर्ष की बात सुना कर सभी की आंखों में आंसू आ जाते हैं. बड़े बेटे अविनाश कुमार ने कहा कि हमने वह तंगी भरी जिंदगी भी देखी है, जब शेयर कर घर में रहने का काम करते थे, लेकिन माता-पिता ने हौसले की उड़ान को कभी कम नहीं होने दिया.

मां मीना देवी का कहना है कि मैं अपने मायके में पढ़ाई की व्यवस्था नहीं रहने के कारण आगे नहीं पढ़ पाई. जो मेरे मन में कसक रह गई थी, उस कसक को मैंने दूर कर दिया. उनका कहना है कि परिजनों को बच्चों पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें सही दिशा दिखाते हुए उन्हें प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं सुनती थी कि गरीब अपने बाल बच्चों को डॉक्टर नहीं बना सकते हैं, लेकिन मैंने ऐसा कर दिखाया. 

हौसले की उड़ान

अगर कोई गुपचुप वाला भी है और वह सोच ले तो अपने बेटे को आईएस बना सकता है. पिता जगदीश साह ने कहा कि काफी सोच समझकर हमने बच्चों के पढ़ाई के लिए प्लानिंग की. बोकारो स्टील से कर्ज लिया. उच्च शिक्षा में जाने के बाद बच्चों को लोन भी मिला और आज वह पूरी तरह से हमारे सपनों को साकार कर चुके हैं.