Chatra News: वट सावित्री पूजन के दौरान बरगद के पेड़ में लगी आग, बड़ा हादसा टला
आज वट सावित्री का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. सुहागिनें अपने-अपने पतियों की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत रखी हुई हैं.
highlights
- वट सावित्री पूजन के दौरान लगी आग
- चतरा के गंदौरी मंदिर में स्थित वट वृक्ष में लगी आग
- अगरबत्ती जलाने के दौरान हुआ हादसा
- लोगों ने आपसी सहयोग से आग पर पाया काबू
Chatra:
आज वट सावित्री का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. सुहागिनें अपने-अपने पतियों की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत रखी हुई हैं. वट सावित्री पूजन के दौरान चतरा के गंदौरी मंदिर में स्थित वट वृक्ष में अचानक आग लग गई, जिससे काफी देर तक अफरा-तफरी का माहौल रहा. लोगों के मुताबिक, वट पेड़ में बंधे धागे में अगरबत्ती जलाने के दौरान आग लग गई. लोगों ने तुरंत तत्परता दिखाते हुए बाल्टी के सहारे पानी भरकर आग पर काबू पा लिया. इस तरह एक बड़ा हादसा होने से टल गया.
पूजा के दौरान बरगद के पेड़ में आग लग गई
बरगद के पेड़ की होती है पूजा
ज्योतिष शास्त्र में हर तिथि और व्रत का विशेष महत्व है. वहीं हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत भी रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष यानी की बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. आपको बता दें, इस साल वट सावित्री का व्रत दिनांक 19 मई को है. शास्त्रों के अनुसार, वट सावित्री व्रत बहुत कठिन व्रत होता है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखती हैं. इस दिन कथा सुनने और पढ़ने का भी विशेष विधि-विधान है. अब ऐसे में इस दिन पूजा की थाली भी पूरी तरह से तैयार होनी चाहिए और इस पूजा में बरगद के पेड़ का अहम रोल होता है. ऐसा कहा जाता है कि बिना बरगद के पेड़ की पूजा के बिना वट सावित्री का व्रत अधूरा माना जाता है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री क्या है और बरगद के पेड़ की पूजा करने का क्या महत्व है, इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.
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क्या है बरगद के पेड़ की पूजा करने के महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष यानी कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. ऐसा कहा जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से तीन देवी-देवताएं प्रसन्न होते हैं. इसलिए बरगद के पेड़ का खास महत्व है. वहीं महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं. वहीं आपको बता दें, कि बरगद का पेड़ ऐसा अकेला पेड़ है, जो 300 साल तक जीवित रहता है. ऐसी मान्यता है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण ले लिया था, तब सत्यवान की पत्नी ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने पति को लेटाया था और वहीं बैठकर पूजा की थी. तब ज्येष्ठ माह के अमावस्या तिथि के दिन उनके प्राण वापस आ गए थे. तभी से वट सावित्री की पूजा करने का विशेष-विधान है.
वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री
ज्योतिष की माने तो बरगद के पेड़ की पूजा से पहले अपनी पूजा की थाली तैयार करना बेहद जरूरी होता है. बता दें कि इस दौरान पूजा की थाली में अक्षत, श्रृंगार का सामान, आम, लीची, मौसमी फल, मिठाई या घर में पका कोई भी मिठाई, बतासा, मौली, रोली, कच्चा धागा, लाल कपड़ा, नारियल, इत्र, पान, सिंदूर, दूर्बा घास, सुपारी, पंखा (हाथ का पंखा), जल आदि शामिल करें.
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