तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज झारखंड के खूंटी में महिला स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं के एक कार्यक्रम को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में दहेज के लिए प्रताड़ित की जा रही महिलाओं के प्रति चिंता जताई और कहा कि सुशिक्षित लोग भी आज तक दहेज का लालच नहीं छोड़ पाए हैं ये एक दुखद बात है. राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि सभी देशवासियों की ओर से, मैं भगवान बिरसा की जन्म-स्थली तथा क्रांतिकारियों की बलिदान-स्थली खूंटी की इस पवित्र धरती को नमन करती हूं.
राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा कि मैं आप सभी को कहना चाहूंगी कि महिला होना अथवा आदिवासी समाज में जन्म लेना कोई बुराई नहीं है. मेरी कहानी आप सबके सामने है. मुझे महिला होने और एक आदिवासी समाज में जन्म लेने पर गर्व है.
दहेज के मामलों को लेकर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि दुर्भाग्य से, हमारे समाज के बहुत से लोग, यहां तक कि सुशिक्षित लोग भी, आज तक दहेज प्रथा को छोड़ नहीं पाये हैं. यह एक शर्मनाक कलंक है. इस संदर्भ में जनजातीय समाज का उदाहरण सभी देशवासियों के लिए अनुकरणीय है.
राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि महिला सशक्तीकरण के सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलू समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. झारखण्ड की हमारी परिश्रमी बहनें और बेटियाँ, राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान देने में सक्षम है. मैं आप सभी बहनों से अपील करूंगी कि आप अपनी प्रतिभा पहचाने, और विश्वास के साथ आगे बढ़ें.
राष्ट्रपति मुर्मू ने CJI-कानून मंत्री को दिखाया 'सच का आइना'
इससे पहले बुधवार को राष्ट्रपति मुर्मू ने झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन किया था. उद्घाटन कार्यक्रम में सीजेआई और केंद्रीय कानून मंत्री को अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति द्वारा कानून का पाठ पढ़ाया गया. राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मैं आज इसलिए यहां कहना चाहती हूं कि यहां सीजेआई है.. झारखंड के चीफ जस्टिस, बहुत सारे सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जजेस, अधिवक्ता आम आदमी बैठे हैं. बहुत सारे केसेस हाईकोर्ट में फाइनल होता है.. बहुत सारे केसेस सुप्रीम कोर्ट में फाइनल होता है. फेवर में फैसला आने पर लोग खुशी मनाते हैं. लोग अपने पक्ष में फैसला आने पर खुश होते हैं चाहे जितनी देर में फैसला आया हो. पांच साल के बाद, दस साल के बाद, बीस साल के बाद जब फैसला आता है तो लोग खुश होते हैं कि देर से ही सही लेकिन उन्होंने न्याय मिला. देर है लेकिन अंधेर नहीं इसलिए लोग खुश होते हैं लेकिन खुशी ज्यादा समय तक नहीं रह पाती. राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ दिन में ही लोगों की खुशी गायब हो जाती है क्योंकि जिसके लिए वह खुश होते थे वह उनको मिलता नहीं. जिसके लिए वह इतने दिनों से समय, पैसा बर्बाद किए. कितने रात नहीं सोए. इंतजार में वो आज मिला इसलिए वो खुश होते हैं लेकिन कुछ दिन के बाद वो खुशी एक्चुअल खुशी में कन्वर्ट नहीं होता तो वह दुखी होते हैं.
नियम बनाना चाहिए
मैं एक छोटे से गांव से आई हूं. मैं पहले एक फैमिली काउंसिल की मेंबर थी. कुछ केस को फाइनल करने के बाद हम रिव्यू करते थे. बहुत सारे लोग मेरे पास आते थे कि मैंने केस तो जीत लिया लेकिन जो जस्टिस मुंझे मिलना चाहिए था वह नहीं मिला. कुछ समझ नहीं आ रहा. अगर अदालत के आदेश के बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिलता तो लोग कहते हैं कि कंटेंप्ट का केस डाल दीजिए. मुझे ये नहीं पता कि कंटेंप्ट के बिना कोई रास्ता है कि नहीं मुझे नहीं पता है. लोगों को सही मामले में जस्टिस मिलना चाहिए. नियम अगर है तो उसका पालन होना चाहिए. केस जीतने के बाद कंटेंप्ट के बहाने 10 साल, 20 साल फिर से केस लड़ना पड़े ऐसा नहीं होना चाहिए. त्वरित न्याय होना चाहिए. पहले मेरे पास बहुत से लोग आते थे केस जीतने के बाद भी उन्हें वो नहीं मिला जो मिलना चाहिए था. पर आजकल लोग मुझ तक नहीं पहुंच पाते. पहले जो लोग आते थे उन्हें मैं आगे भेजती थी उसके बाद क्या होता था मुझे नहीं पता. अगर नियम है तो ठीक है लेकिन केंद्रीय कानून मंत्री और सीजेआई यहां मौजूद हैं अगर नियम नहीं है तो बनाना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के झारखंड दौरे का दूसरा दिन
- महिला समूहो को राष्ट्रपति ने किया संबोधित
- दहेज के मामलों को बताया शर्मनाक
Source : News State Bihar Jharkhand