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बच्ची की दुष्कर्म के बाद हुई थी हत्या, कोर्ट ने महज 4 दिन में सुना दिया ऐतिहासिक फैसला

तौफीकुल हसन की कोर्ट ने अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 2 मामलों में फांसी और जुर्माना लगाया है.

Updated on: 04 Mar 2020, 01:56 PM

दुमका:

झारखंड के दुमका (Dumka) में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह पोक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश तौफीकुल अहसन की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अदालत ने 6 साल की बच्चे से गैंगरेप के बाद हत्या (Murder) के मामले में 4 न्यायिक कार्य दिवस के अंदर ही अपना फैसला दे दिया और चाचा समेत तीन लोगों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुना दी. देश का यह ऐतिहासिक और तेज सुनवाई करने वाला पहला मामला है, जो चार न्यायिक कार्य दिवस के अंदर फैसला सुना दिया गया. इससे पहले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बागपत में 5 दिनों के अंदर फैसला आया था, हालांकि फैसले की सुनवाई 6 छठें दिन हुई थी.

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इधर, तौफीकुल हसन की कोर्ट ने अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 2 मामलों में फांसी और जुर्माना लगाया है. न्यायालय भादवी की धारा 376 के तहत 10 साल सजा और 15-15 हजार जुर्माना, 376 डीबी के तहत फांसी एवं 50-50 हजार जुर्माना, हत्या के मामले में धारा 302 के तहत फांसी और 50-50 हजार जुर्माना, साक्ष्य छुपाने के मामले में धारा 201/34 के तहत दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा और 5-5 हजार जुर्माना, पोक्सो एक्ट के तहत ताउम्र कैद और 25-25 हजार जुर्माना किया. सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी.

कोर्ट के अंदर मामले में कुल 16 गवाहों की गवाही गुजरी. तीन दिन गवाहों को चिन्हित किया गया. चौथे दिन तक बीते सोमवार को देर रात 11 बजे तक फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत गवाही की प्रक्रिया पूरी हुई. न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के ऐसे तीन मामले का उदाहरण पेश करते हुए जघन्य अपराध के लिए मौत होने तक फांसी पर लटकाए रखने का हुक्म दिया. न्यायालय ने मासूम को नन्ही परी नाम दिया. न्यायाधीश ने कहा कि बाप-बेटी के साथ, चाचा द्वारा भतीजी के साथ सुरक्षित नहीं तो किसके साथ सुरक्षित रहेगी. कोर्ट ने इसे जघन्य अपराध बताते हुए मासूम की मां सहित परिजनों से पूछे जाने पर फांसी की सजा की मांग की.

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मामले में एपीपी रामकिंकर पांडे और बचाव पक्ष से बहस डालसा के प्रदत अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद कर रहे थे. मामला 7 फरवरी को सामने आया था. रामगढ़ थाना क्षेत्र में 6 वर्ष की एक मासूम का शव बरामद हुआ था. उस समय गैंगरेप के बाद हत्या की बात सामने आयी थी. बच्ची के चाचा मिठू राय पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी. 11 फरवरी को मिठू की गिरफ्तारी मुंबई से हुई थी. मासूम बच्ची अपने ननिहाल में रहती थी. 5 फरवरी को सरस्वती पूजा का मेला घुमाने के बहाने मिठू बच्ची को लेकर गया था. अंधेरा होने पर अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था. 26 फरवरी को पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया. यहां बता दें कि न्यायाधीश तौफिकुल अहसन के न्यायालय ने 2 जुलाई 2013 को पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार के नृशंश हत्या मामले में दोषी करार देते हुए नक्सली प्रवीर दा और सनातन बास्की को दोषी करार देते हुए 26 सितंबर 2018 को फांसी की सजा सुनाई थी.