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क्या आप भी पसंद करते हैं मटके का पानी? जानिए कितना फायदेमंद और कितना नुकसानदायक?

गर्मी के दस्तक देते ही ठंडे पानी की डिमांड बढ़ जाती है. आजकल लोग फ्रिज की जगह मटके को ज्यादा पसंद करते हैं. मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है.

Updated on: 26 Apr 2023, 12:38 PM

highlights

  • गर्मियों में बढ़ी मटके की डिमांड
  • फ्रिज से ज्यादा मटके की मांग
  • मटके के पानी को लोग कर रहे पसंद
  • मटके की बिक्री से बढ़ी कुम्हारों की आमदनी

Bokaro:

गर्मी के दस्तक देते ही ठंडे पानी की डिमांड बढ़ जाती है. आजकल लोग फ्रिज की जगह मटके को ज्यादा पसंद करते हैं. मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. इसी को देखते हुए बाजारों में मटके की डिमांड बढ़ गई है. लोगों की भीड़ मटके की दुकानों पर ज्यादा देखी जा रही है. सड़क के किनारे लगे इन मटकों की दुकान पर आजकल लोगों की भीड़ देखी जा सकती है. दरअसल गर्मियां आते ही मटके के पानी की डिमांड बढ़ जाती है. 

फ्रिज से ज्यादा मटके की मांग

बोकारो में भीषण गर्मी की वजह से कई दुकानदार ग्राहकों की कमी का रोना रो रहे हैं, तो वहीं मिट्टी के मटके तैयार करने वाले कुम्हार समुदाय की इस वक्त खूब चांदी कट रही है. 
दुकानदारों के मुताबिक मटकों का अलग-अलग रेट तय है. जिसमें 140 रुपये, 160 रुपये और 80 रुपये तक मटके मौजूद हैं. इन मटकों में नल की भी व्यवस्था की गई है. जिससे कि लोगों को पानी निकालने में दिक्कत न हो. यहां आने वाले ग्राहकों का भी यही कहना है कि मटके का पानी फ्रिज की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक है. जिसकी वजह से गर्मियों में पानी पीने के लिए फ्रिज की जगह मटके का ही इस्तेमाल किया जाता है.

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मटके के पानी को लोग कर रहे पसंद

अभी अप्रैल का महीना चल रहा है. मई और जून की भीषण गर्मी अभी बाकी है. ऐसे में अभी से मटके की दुकानों पर लगी भीड़ कुम्हारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. हालांकि अभी मौसम में आये थोड़े बदलाव से इन दुकानदारों की बिक्री पहले की तुनला में जरूर प्रभावित हुई है, लेकिन दुकानदारों का मानना है कि अभी तो पूरा वैशाख और जेठ का महीना बाकी ही है. ऐसे में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. इस सीजन में कुम्हारों को अच्छी कमाई की उम्मीद है. हो भी क्यों ने चंदनकियारी के ये दुकानदार साल भर अपने हाथों की कलाकारी से इतने आकर्षक मटके तैयार करते हैं और उसका उन्हें प्रतिफल भी न मिले, तो इनके पेशे के साथ बेइमानी होगी.

रिपोर्ट : संजीव कुमार