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धनबाद जज हत्याकांड : साजिशकर्ताओं के बारे में जानकारी देने वालों को मिलेगा इनाम

सीबीआई ने धनबाद जज हत्याकांड के साजिशकर्ताओं के बारे में विश्वसनीय सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है. सीबीआई अधिकारी के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने रविवार को यह जानकारी दी.

Updated on: 15 Aug 2021, 06:39 PM

नई दिल्ली:

सीबीआई ने धनबाद जज हत्याकांड के साजिशकर्ताओं के बारे में विश्वसनीय सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है. सीबीआई अधिकारी के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने रविवार को यह जानकारी दी. वहीं, इस मामले की जांच में सीबीआई की मदद कर रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि सीबीआई ने इस केस में जांच से जुड़े लगभग सभी पहलुओं पर तेजी से काम कर लिया और अपराध स्थल की भी कंप्लीट जांच की जा चुकी है. जज की मौत के पूरे दृश्य को आरोपियों के साथ 3-3 बार पुनर्निर्मित (रिक्रिएट) भी किया जा चुका है.

आपको बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने झारखंड सरकार के अनुरोध पर धनबाद के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में मामला दर्ज किया है और एक एसआईटी का गठन किया है. पिछले दिनों सीबीआई प्रवक्ता आर.सी. जोशी ने कहा था कि सीबीआई ने झारखंड सरकार के अनुरोध पर उत्तम आनंद, एडीजे धनबाद की मौत से संबंधित मामला दर्ज किया है और केंद्र से आगे की अधिसूचना जारी कर जांच अपने हाथ में ले ली है.

जोशी ने कहा कि सीबीआई ने एक विशेष जांच दल का गठन किया है और वह धनबाद जा रही है. एक अज्ञात ऑटो चालक के खिलाफ पत्नी की शिकायत पर 28 जुलाई को सुबह की सैर के दौरान एक ऑटोरिक्शा ने उसे टक्कर मार दी, जिसके बाद धनबाद पुलिस ने पहले एक मामला दर्ज किया था.

सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद झारखंड सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. लेकिन, बाद में उसने मौत की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. जज की हत्या की जांच कर रही एसआईटी ने ऑटोरिक्शा चालक लखन वर्मा और उसके सहयोगी राहुल वर्मा सहित कुल 17 लोगों को गिरफ्तार करने के बावजूद अब तक कोई प्रगति नहीं की है.

मंगलवार को, झारखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई को न्यायाधीश की मौत की जांच जल्द से जल्द शुरू करने का निर्देश दिया, ताकि कोई सबूत नष्ट न हो, और राज्य सरकार को एजेंसी को सभी रसद सहायता और दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.

अदालत ने झारखंड के डीजीपी को राज्य में न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके घरों पर सुरक्षा गाडरें की तैनाती सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. उसने यह भी जानना चाहा कि घटना सुबह 5.08 बजे हुई तो दोपहर 12.45 बजे प्राथमिकी क्यों दर्ज कराई गई.