फूलों से महकी दीपेश की 'जिंदगी', नर्सरी चलाकर कर रहे अच्छी कमाई

आज कल के युवा जहां डिग्री और नौकरी के पीछे भागते हैं तो वहीं चतरा में एक युवा ऐसा भी है जो बेरोजगारी का रोना छोड़ खुद को तो आत्मनिर्भर बना ही रहे हैं.

आज कल के युवा जहां डिग्री और नौकरी के पीछे भागते हैं तो वहीं चतरा में एक युवा ऐसा भी है जो बेरोजगारी का रोना छोड़ खुद को तो आत्मनिर्भर बना ही रहे हैं.

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Jatin Madan
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युवाओं के लिए प्रेरणा बने दीपेश.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

देश में ज्यादातर युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, लेकिन कुछ युवा ऐसे भी हैं जो बेरोजगारी का रोना छोड़ खुद को तो आत्मनिर्भर बना ही रहे हैं दूसरों को भी रोजगार देने का काम कर रहे हैं. चतरा के दीपेश भी इन्हीं युवाओं में शुमार हैं. पूजा की थाली से लेकर प्यार के इज़हार तक, शादी की सजावट से फूल मालाओं तक, खुबसूरत फूलों की सुंदर क्यारियां भला किसे नहीं पसंद और जब यही सुंदर क्यारियां आपके लिए रोजगार का जरिया भी बन जाए, तब तो क्या ही कहने.

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नर्सरी चलाकर कर रहे अच्छी कमाई

आज कल के युवा जहां डिग्री और नौकरी के पीछे भागते हैं तो वहीं चतरा में एक युवा ऐसा भी है जो बेरोजगारी का रोना छोड़ खुद को तो आत्मनिर्भर बना ही रहे हैं. दूसरों को भी रोजगार देने का काम कर रहे हैं. दीपेश नाम के युवा ने 12वीं तक की ही पढ़ाई की है, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से आज हर महीने हजारों की कमाई करते हैं. दीपेश चतरा के लिपदा गांव के रहने वाले हैं और वो फूलों और फलों की नर्सरी चलाते हैं, जिससे उन्हें हर महीने हजारों रुपये की कमाई होती है. उन्होंने पहले छोटे से नर्सरी से शुरूआत की थी. अपने नर्सरी में काम करने के दौरान ही दीपेश के पिता को चतरा के सरकारी कार्यालय में माली की नौकरी मिल गई. पिता को नौकरी मिलने के बाद दीपेश ने नर्सरी का कार्यभार खुद संभाला और फिर अपनी मेहनत और लगन से नर्सरी को कुछ ही दिनों में दोगुना बड़ा कर लिया. जिसके बाद दीपेश ने नर्सरी के देख के लिए गांव के ही 5 लोगों को भी नौकरी पर रखा.

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गांव के लोगों को भी दे रहे रोजगार

दीपेश के नर्सरी में उगाए गए पौधों की मांग चतरा ही नहीं बल्कि अन्य जिलों जैसे लातेहार, हजारीबाग,कोडरमा,पलामू के आलावे बिहार के गया और दूसरे जिलों में भी है. दीपेश की मां भी उनके पहल का समर्थन करके हुए कहती हैं आज के युवा अगर खुद आत्मनिर्भर बनने की ओर काम करें तो उनके लिए बेहतर होगा. बहरहाल, दीपेश अपनी कड़ी मेहनत और लगन से आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है जो युवा बेरोजगारी और तंगहाली का रोना रोते हैं. उनको दीपेश से आत्मनिर्भरता की सीख लेनी चाहिए कि बेरोजगारी सरकार की योजनाओं से नहीं बल्कि खुद की लगन और मेहनत से दूर होती है.

रिपोर्ट : कुमार विकास

HIGHLIGHTS

  • फूलों से महकी दीपेश की 'जिंदगी'
  • नर्सरी चलाकर कर रहे अच्छी कमाई
  • गांव के लोगों को भी दे रहे रोजगार
  • युवाओं के लिए प्रेरणा बने दीपेश

Source : News State Bihar Jharkhand

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