Saraikela News: आस्था का केंद्र दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर, प्रशासन की उपेक्षा का हो रहा शिकार

सरायकेला खरसावां में स्थित दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की चोटी पर विराजमान दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है.

सरायकेला खरसावां में स्थित दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की चोटी पर विराजमान दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है.

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Jatin Madan
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दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

सरायकेला खरसावां में स्थित दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की चोटी पर विराजमान दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है. ये जगह सांस्कृतिक के साथ ही प्राकृतिक धरोहर भी है, लेकिन शासन प्रशासन की उपेक्षा के चलते ये मंदिर बदइंतजामी की मार झेल रहा है. सुंदर वादियों और प्रकृति सुंदरता के लिए जाना जाने वाला सरायकेला खरसावां जिला शिवभक्तों की आस्था का भी केंद्र रहा है. यहां के चांडिल अनुमंडल में दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की चोटी पर विराजमान दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर सावन के महीने में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. जहां झारखंड के साथ पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं और बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. हालांकि इस मंदिर में साल के 365 दिन देश विदेश से भी पर्यटक आते रहते हैं, लेकिन सावन में यहां उमड़ने वाला आस्था का सैलाब देखते ही बनता है.

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बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु और पर्यटक

दलमा बाबा मंदिर में शिवलिंग गुफा के अंदर विराजमान है. जहां पहुंचने के लिए भक्तों को जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. चूंकि ये मंदिर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में विराजमान है ऐसे में जंगलों से गुजरने के दौरान जंगली जानवरों से टकराने का डर भी रहता है, लेकिन भक्तों की आस्था पर ये डर कभी हावी नहीं हो पाता और बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर साल मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

बदइंतजामी के चलते होती है परेशानी

सिर्फ मंदिर ही नहीं यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी लोगों को खूब आकर्षित करती है. जहां प्रकृति प्रेमियों के लिए ये जगह पहली पसंद बन गई है. बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां की पहाड़ियों और वादियों का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं. यहां सबसे बड़ी बात ये है कि इस मंदिर और यहां के नजारों से आकर्षित होकर बड़ी संख्या में सैलानी और श्रद्धालु आते हैं. जिससे ना सिर्फ आस-पास के लोगों को रोजगार मिलता है बल्कि सरकार को भी अच्छा खासा राजस्व मिल जाता है. बावजूद इस जगह डेवलप करने या मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए शासन प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है.

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ना पानी का इंतजाम... ना सफाई की व्यवस्था

दलमा बाबा गुफा के अंदर राम मंदिर, मातादुर्गा का मंदिर और चोटी के ऊपर हनुमान जी का मंदिर भी है. इसके अलावा तीन किलोमीटर जंगल के नीचे गणेश जी का मंदिर विराजमान है. साथ ही यहां माता कोटासिन्नी का भी मंदिर है, लेकिन भक्तों की आस्था का केंद्र होने के बाद भी ये पूरा क्षेत्र वन एवं पर्यावरण विभाग और झारखंड पर्यटन विभाग की अपेक्षा की शिकार हो रहा है.

शासन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार

मंदिर में बदइंतजामियों का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां एक ही कुएं पर सब कुछ निर्भर करता है. श्रद्धालु हो या यहां मंदिर के पुजारी, बूंद-बूंद पानी के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है. वहीं, मंदिर भी जर्जर होने लगा है. ऐसे में जरूरत है कि झारखंड सरकार और संबंधित विभाग प्रकृति और संस्कृति के इस अनुपम धरोहर को सहेजने के लिए पहल करे. ताकि इस जगह को पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सके.

रिपोर्ट : विरेन्द्र मंडल

HIGHLIGHTS

  • आस्था का केंद्र दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर
  • शासन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार
  • प्राकृतिक धरोहर की उपेक्षा क्यों? 
  • बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु और पर्यटक

Source : News State Bihar Jharkhand

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