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डेढ़ करोड़ आदिवासी बने ईसाई, बीजेपी सांसद ने की आरक्षण छीनने की मांग

झारखंड में चुनावी सीजन के बीच फिर धर्मांतरण का मामला गरमा गया है. भाजपा के गोड्डा से तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे ने धर्मातरण रोकने के लिए केंद्र सरकार को ऐसे लोगों से अरक्षण का अधिकार छीन लेने का फॉर्मूला सुझाया है.

Updated on: 23 Nov 2019, 07:57 AM

नई दिल्ली:

झारखंड में चुनावी सीजन के बीच फिर धर्मांतरण का मामला गरमा गया है. भाजपा के गोड्डा से तीन बार के सांसद निशिकांत दुबे ने धर्मातरण रोकने के लिए केंद्र सरकार को ऐसे लोगों से अरक्षण का अधिकार छीन लेने का फॉर्मूला सुझाया है. निशिकांत दुबे ने आईएएनएस से कहा, "धर्म बदलकर ईसाई बनने वाले अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सभी लोगों से आरक्षण का लाभ छीना जाना चाहिए. क्योंकि संविधान सभा में बहस के दौरान भी यह बात उठ चुकी है. देश में अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा आदिवासियों ने धर्मातरण कर लिया है. इसी से समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है."

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झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे इस मसले को बीते बुधवार को लोकसभा में भी उठाकर सियासी सरगर्मी बढ़ा चुके हैं. उन्होंने इस दिशा में मोदी सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की है. इस मसले पर किया उनका ट्वीट भी सोशल मीडिया पर वायरल है.

निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा, "झारखंड में वर्ष 1947 तक करीब तीन प्रतिशत आदिवासियों का ही धर्मातरण हुआ था. 1937 में इसको लेकर एक कानून भी बना था, जो कहता था कि धर्मातरण कोई कर सकता है लेकिन कलेक्टर को जानकारी देनी होगी. मगर झारखंड में स्थिति यह है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) की कुल 26-27 फीसदी आबादी में से 20 प्रतिशत ने धर्म बदल दिया है. तकरीबन डेढ़ करोड़ लोगों ने धर्मातरण कर लिया है." दुबे के मुताबिक यह डेढ़ करोड़ का आंकड़ा झारखंड नहीं बल्कि पूरे देश का है.

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सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए कहा कि धर्मातरण से अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) की पूरी संस्कृति बदल गई है. उन्होंने कहा, "जब संविधान सभा में बहस हुई तब कहा गया था कि यदि इस तरह की परिस्थिति हुई तो एसटी को एससी की तरह धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा."

सांसद निशिकांत दुबे ने क़ेद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि अनुसूचित वर्ग की तरह अनुसूचित जनजाति के लोगों को भी धर्मातरण के बाद आरक्षण के अधिकार से वंचित करने के लिए कानून बनना चाहिए, तभी इस गंभीर समस्या से निजात मिल सकती है.