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बेहद खराब हैं झारखंड के आदिवासियों के हालात, खेत का गंदा पानी पीने को हैं विवश

झारखंड की पहचान आदिवासी समुदाय रहा है. राज्य का गठन भी आदिवासी हितों की रक्षा का हवाला देकर ही किया गया था, लेकिन आज भी आदिवासी समुदायों की राज्य में हालत अच्छी नहीं है.

Updated on: 17 Jan 2023, 04:16 PM

highlights

  • विकास से वंचित आदिवासी समुदाय
  • घूंट पानी के लिए कर रहे जद्दोजहद 
  • गंदा पानी पीने को मजबूर हैं ग्रामीण
  • विकास से दूर... सियासत भरपूर!

Bokaro:

झारखंड की पहचान आदिवासी समुदाय रहा है. राज्य का गठन भी आदिवासी हितों की रक्षा का हवाला देकर ही किया गया था, लेकिन आज भी आदिवासी समुदायों की राज्य में हालत अच्छी नहीं है. बोकारो की बेरमो विधानसभा क्षेत्र में लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. यहां के लोग खेत का गंदे पानी को पीकर ही गुजारा करते हैं. इस इलाके में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. बावजूद इन्हें किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती. आलम ये है कि महिलाएं डेढ़ किलोमीटर दूर खेत में जाकर वहां का पानी लाती हैं. जिससे उनका गुजारा होता है. यानी आज तक इस क्षेत्र में लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हुआ है.

कमलापुर गांव की ये तस्वीरें शासन-प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती हैं. कांग्रेस के कुमार जय मंगल सिंह इस क्षेत्र के विधायक हैं, लेकिन यहां का विकास भगवान भरोसे है. बड़े-बड़े दावों और वादों के बीच आदिवासियों को एक घूंट पानी तक नहीं मिल रहा है. वहीं, इसको लेकर JMM के केंद्रीय प्रवक्ता विनोद पांडे का कहना है कि मामला दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने जल्द ही ग्रामीणों की परेशानियों को खत्म करने का आश्वासन भी दिया.

वहीं, गोमिया के पूर्व विधायक और राज्य समन्वय समिति के सदस्य योगेंद्र प्रसाद इस पर भी राजनीति करते दिखे और मामले पर बीजेपी पर निशाना साधते नजर आए. पूर्व विधायक का कहना है कि इस राज्य में 17 सालों बीजेपी ने शासन किया है. ऐसे में अधिकारी भी उसी मानसिकता के बन बैठे हैं. इसलिए राज्य सरकार को विकास करने में समय लग रहा है.

पूर्व विधायक शादय ये भूल गए हैं कि भले पूर्व सरकार भले ही बीजेपी की रही हो, लेकिन बीते 3 सालों से तो JMM का ही शासन है. फिर भी आदिवासियों का विकास क्यों नहीं हो रहा है. बहरहाल ये मामला सियासत करने लायक है भी नहीं. वार-पलटवार को छोड़ अगर जनप्रतिनिधि विकास पर फोकस करें तो शायद तस्वीरें बदल जाए.

रिपोर्ट : संजीव कुमार

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