साहिबगंज में शिक्षा का हाल बदहाल, CM सोरेन का सपना हुआ चूर-चूर

प्रदेश में झारखंड सरकार एक तरफ स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाकर गरीब और संरक्षित जनजातीय समुदाय यानी कि पहाड़िया समुदाय के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दावे कर रही है.

प्रदेश में झारखंड सरकार एक तरफ स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाकर गरीब और संरक्षित जनजातीय समुदाय यानी कि पहाड़िया समुदाय के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दावे कर रही है.

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Vineeta Kumari
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CM सोरेन का सपना हुआ चूर-चूर( Photo Credit : फाइल फोटो)

प्रदेश में झारखंड सरकार एक तरफ स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाकर गरीब और संरक्षित जनजातीय समुदाय यानी कि पहाड़िया समुदाय के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दावे कर रही है. दूसरी तरफ जमीनी हकीकत की सच्चाई प्रदेश सरकार की उन दावों को चाखनाचुर कर दे रही है.आखिर हेमंत के राज्य में ऐसे पढ़ेगा झारखंड, तो कैसे आगे बढ़ेगा झारखंड. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में आने वाले साहिबगंज जिले में तो जिम्मेदार अधिकारियों  की अनदेखी व आंख-मिचौली की वजह से प्रदेश सरकार की सभी दावे पर टूटकर बिखरने लगा है. गरीब बच्चों को पढ़ाई तो दूर छात्रों को बेहतर स्कूल के भवन तक नसीब नहीं है.

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साहिबगंज में शिक्षा का हाल बदहाल

वहीं जिले के तालझारी प्रखंड पर स्थित सालगाछी पंचायत के छविटॉक पहाड़ की यह सरकारी स्कूल जो पूरी तरह जर्जर होकर कबाड़ खाना बन चुका है. स्कूल के आसपास गंदगी का अंबाड़ है, तो क्लास रूम के अंदर सीमेंट और छड़ का गोदाम, इतना ही नहीं बल्कि हेडमास्टर के रूम में कुर्सी टेबल और सरकारी किताबें कूड़ा-कचड़ा बनकर कोरोना काल से पहले से बिखरा हुआ है. साथ ही साथ स्कूल के आसपास पेड़ की जड़ें तो दीवारों को चीरते हुए अपना रास्ता भी बना रही है और छत से टपकता पानी स्कूल को दरिया बना रहा है. वहीं, तालझारी प्रखंड मुख्यालय से करीब 35KM की दूरी पर झारखंड सरकार का प्राथमिक विद्यालय स्थित है. जहां स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार स्कूल के मास्टर तीन साल से गायब है.

सीएम सोरेन का सपना हुआ चूर-चूर

हेमंत सरकार की बेहतर शिक्षा के दावे साहिबगंज में खोखले साबित हो रहे हैं. सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बानगी तो ये तस्वीरें ही कर रही है और स्कूल से लगातार पानी का रिसाव होता है. वहीं,छात्र ऐसे ही हालातों में अपने घरों में ही पढ़ाई करते हैं, क्योंकि स्कूल से तो मास्टर गायब रहता है और छात्राओं के साथ स्कूल की सुध लेने वाला विभाग में कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है. इस स्कूल में बच्चों को मिलने वाले सभी सरकारी सामग्री विभाग के सीआरपी व बीपीओ एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सहित जिले के कई जिम्मेदार अधिकारी मिलकर डकार चुके हैं. जिस पर आज-तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई.

HIGHLIGHTS

  • साहिबगंज में शिक्षा का हाल बदहाल
  • सीएम सोरेन का सपना हुआ चूर-चूर
  • सवालों के घेरे में साहिबगंज का शिक्षा विभाग

Source : News State Bihar Jharkhand

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