झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी की कार्रवाई से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज किए जाने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया, तो हाईकोर्ट में दायर याचिका में त्रुटि की बात सामने आने के बाद से आरोप प्रत्यारोप की सियासत शुरू हो गई है. वहीं, कोर्ट ने 3 अक्टूबर तक याचिका की खामियों को दूर करने को कहा है, ताकि याचिका सुनवाई योग्य हो सके. याचिका में त्रुटि की वजह से सुनवाई से पूर्व उन त्रुटियों को न्यायालय ने दूर करने का निर्देश दिया, तो याचिका की त्रुटि के बहाने बीजेपी हमलावर हो गई. जबकि कानून के जानकार बताते हैं कि याचिका डर करने में जब कुछ त्रुटी रह जाती है, तो न्यायालय उन खामियों को दूर करने का वक्त देता है, ये आम बात है.
सीएम सोरेन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की
सीएम के ईडी वाली याचिका पर सियासत जारी है. दरअसल, ईडी की कार्रवाई से जुड़ी हाईकोर्ट में दायर याचिका में कोर्ट की तरफ से कुछ त्रुटि बताई गई है. खामियों की वजह से याचिका को सुनवाई के लिए लिस्टेड नहीं किया जा सकता. ऐसे में न्यायालय की तरफ से खामियों को दूर करने के लिए याचिका कर्ता को वक्त दिया जाता है. डिफेक्ट से जुड़े मामले पर कानून के जानकार से हमने समझने की कोशिश की. हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि किसी भी याचिका को दायर करने में जो त्रुटि रह जाती है, उसे डिफेक्ट कहा जाता है. ये आम तौर पर होता है किसी स्पेशल केस में होता हो ऐसा नहीं है. त्रुटि के बाद कुछ समय दिया जाता है, ताकि निश्चित समय के अंदर त्रुटि को समाप्त कर लिया जाए और याचिका सुनवाई योग्य हो. सीएम हेमंत सोरेन से जुड़ी याचिका भी कोर्ट के लिए एक आम याचिका ही है. त्रुटि में सुधार के बाद सुनवाई होती है. कानूनी तौर पर मामला जब न्यायलय में चला गया है, तो न्यायलय के फैसले का तो इंतजार करना ही होगा. सुनवाई का इंतजार करना ही होगा. इसमें ईडी अपने स्तर से अपना काम करेगी, ईडी का अपना क्षेत्राधिकार है.
जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा प्रहार कर रही
डिफेक्ट के बाद हो रही राजनीतिक बयानबाजी पर हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने कहा सीएम जब राजनीतिक व्यक्ति हैं, उनका पद राजनीति से जुड़ा है, तो राजनीतिक लोग अपने अपने चश्मे से देखते हैं. न्यायालय अपने चश्मे से देखता है. सीएम के ईडी वाली याचिका में डिफेक्ट के बाद बीजेपी सांसद संजय सेठ में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, उच्चतम न्यायलय ने रिजेक्ट किया तो उच्च न्यायालय गए हैं. मामला न्यायालय के अधीन है, पर मेरा मानना है सीएम को ईडी के समक्ष आना चाहिए. अच्छा संदेश जनता के बीच नहीं जा रहा. जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा प्रहार कर रही है, पीएम ने कहा है कोई बचेगा नहीं. कोई सरकारी एजेंसी बिना किसी क्लू के नहीं आता है, सम्मन आया है तो हाजिर होना चाहिए, कोई सम्मन करता है तो हर्जा क्या है. ये स्वतंत्र एजेंसियां हैं. सम्मन किया तो ऐसा नहीं कि हम दोषी हो गए और हमको जेल भेज देगें. अपना पक्ष रखना चाहिए.
बीजेपी के लोगों को जानकारी का अभाव
सीएम हेमंत सोरेन के द्वारा ईडी की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका के डिफेक्ट के बाद बीजेपी के आरोप पर जेएमएम प्रवक्ता ने निशाना साधते हुए कहा, बीजेपी के लोगों को हेमंत फोबिया हो गया है. बीजेपी के लोगों को जानकारी का अभाव है, अज्ञानतावश बोलते हैं. याचिका जो भी दाखिल होती है. 90% में कुछ न कुछ डिफेक्ट होता है. अदालत जब अपने नजर से शॉर्ट लिस्ट करती है तो फिर उस छोटे मोटे डिफेक्ट को दूर किया जाता है. बीजेपी के लोग एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री की लोकप्रियता से घबरा कर अनर्गल बयानबाजी करते हैं. याचिका में आई त्रुटि को दुरुस्त करने के लिए बतौर युचिककर्ता सीएम के अधिवक्ता को 3 अक्टूबर तक का न्यायालय से वक्त मिल चुका है, पर ऐसे में सब की निगाहें इस बात पर टिकी है. इस मामले में सीएम के सुप्रीम कोर्ट जाने के बावजूद ईडी ने अब तक चार चार सम्मन भेजा है. वहीं, विरोधी समन की त्रुटि को भी सियायत से जोड़ रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- CM सोरेन ने HC में याचिका दायर की
- जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा प्रहार कर रही
- बीजेपी के लोगों को जानकारी का अभाव
Source : News State Bihar Jharkhand