Jharkhand News: गुमला में 'व्यापार का केंद्र' खंडहर में तब्दील, सरकारी अनदेखी से दम तोड़ रहे बाजार

गुमला में बाजार हाटों की स्थिति बदहाल होती जा रही है. एक समय था जब बाजार हाट ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती थी जो गांव में व्यापार का केंद्र होता था, लेकिन आज वही बाजार हाट अनदेखी के चलते अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.

गुमला में बाजार हाटों की स्थिति बदहाल होती जा रही है. एक समय था जब बाजार हाट ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती थी जो गांव में व्यापार का केंद्र होता था, लेकिन आज वही बाजार हाट अनदेखी के चलते अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.

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Jatin Madan
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व्यापारी और किसान झेल रहे दंश.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

गुमला में बाजार हाटों की स्थिति बदहाल होती जा रही है. एक समय था जब बाजार हाट ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती थी जो गांव में व्यापार का केंद्र होता था, लेकिन आज वही बाजार हाट अनदेखी के चलते अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. बाजार हाट इलाके के लिए मुख्य हृदय स्थली हुआ करते थे और यहीं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का संचालन होता था, लेकिन समय के साथ-साथ हाट-बाजारों की ठाठ कम होने लगी और इसकी सबसे बड़ी वजह सरकार की अनदेखी बनी. जिसके चलते आज गुमला में बाजार हाटों की स्थिती बद से बदतर हो गई है.

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'व्यापार का केंद्र' खंडहर में तब्दील

गुमला में ज्यादातर हाट बाजारों की हालत ऐसी है. जहां सुविधाएं तो दूर शेड निर्माण तक नहीं हुआ है. लिहाजा अब ये बाजार खंडबर में तब्दील होते जा रहे हैं. बाजारों की बदहाली का सबसे ज्यादा दंश स्थानीय किसान और व्यापारी झेल रहे हैं. जिन्हें अब अपने सामानों को बेचने के लिए दूर जाना पड़ता है. स्थानीय लोग भी सरकार से बाजारों के कायाकल्प की मांग कर रहे हैं.

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व्यापारी और किसान झेल रहे दंश

ग्रामीण बाजार हाटों के रखरखाव की जबाबदेही बाजार समिति की थी. बात करें गुमला जिले की तो यहां अलग-अलग क्षेत्रों में सौ से ज्यादा हाट हुआ करते थे, लेकिन अब हाट-बाजार अपनी ही बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. क्योंकि रख-रखाव करने वाली बाजार समितियां ही बदहाल हो गई है. जिसके चलते बाजारों की ये हालत सिर्फ गुमला में ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड में ही अमूमन ऐसी ही है. जहां राज्य के सभी बाजार समिति सचिवों के भरोसे चल रहे हैं. समितियों में संसाधन की कमी के चलते काम नहीं हो पा रहा. 
ज्यादातर बदहाल समितियां घाटे में चल रही है. बाजार समितियों में कर्मचारियों की भी कमी है. कई बाजार समिति तो संचालित भी नहीं हो रहे हैं.

सरकार से बाजारों के कायाकल्प की मांग

बाजार समितियों की अनदेखी आज बाजार हाटों की बदहाली का कारण बन गई है. ये जानते हुए कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार हाट व्यापार का केंद्र होते हैं बावजूद इन पर शासन प्रशासन का ध्यान नहीं जाता. सरकार की ये उदासीनता ग्रामीण जनता के लिए दंश बन गई है.

रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह

HIGHLIGHTS

  • बाजार हाटों की बदहाली क्यों?
  • 'व्यापार का केंद्र' खंडहर में तब्दील
  • सरकारी अनदेखी से दम तोड़ रहे बाजार
  • व्यापारी और किसान झेल रहे दंश

Source : News State Bihar Jharkhand

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